मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चली चार दिवसीय सैन्य टकराव, जिसे ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) नाम दिया गया, ने न केवल सीमा पर तनाव बढ़ाया, बल्कि खुफिया खेल में भी नया मोड़ लाया। इस दौरान एक बर्लिन-आधारित जर्मन सैटेलाइट इमेजरी कंपनी को पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) ने भारतीय एयर फोर्स (IAF) के एयरबेस और हवाई संपत्तियों पर नजर रखने के लिए टास्क किया था। लेकिन भारत की स्पेस रिसर्च एजेंसी ISRO ने अपनी निगरानी क्षमताओं से इस जासूसी को नाकाम कर दिया, जिससे IAF को पाकिस्तानी हमलों से बचाने में सफलता मिली। आइए, इस पूरी घटना को विस्तार से समझते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
- कब और क्यों शुरू हुआ? 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक घातक हमले में 26 नागरिक मारे गए, जिसकी जिम्मेदारी भारत ने पाकिस्तान-आधारित आतंकियों पर डाली। इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, जो चार दिनों तक चला। इसमें भारत ने पाकिस्तानी एयरबेस पर प्रेसिजन स्ट्राइक्स किए, जबकि पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमले किए।
- परिणाम: भारत ने 11 पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले किए, जिसमें न्यू खान (रावलपिंडी), शाहबाज (जैकोबाबाद), मुशाफ आदि शामिल थे। सैटेलाइट इमेजरी से पाकिस्तानी रनवे पर बड़े गड्ढे और हैंगर को नुकसान साफ दिखा। भारत को न्यूनतम नुकसान हुआ, जिसमें 5 सैनिक शहीद हुए और कुछ विमान खोए।
जर्मन कंपनी का रोल: पाकिस्तान की जासूसी का खेल
- कौन सी कंपनी? एक बर्लिन-बेस्ड यूरोपियन (जर्मन) सैटेलाइट इमेजरी फर्म, जिसका नाम स्रोतों में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया, लेकिन यह कमर्शियल सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर थी। पाकिस्तान ने इसे हायर किया ताकि भारतीय एयरबेस की रीयल-टाइम तस्वीरें मिल सकें।
- क्या कर रही थी? PAF ने इस कंपनी के सैटेलाइट्स को भारतीय हवाई क्षेत्र पर पोजिशन किया, ताकि IAF के मूवमेंट, एयरक्राफ्ट डिप्लॉयमेंट और बेस एक्टिविटी की मॉनिटरिंग हो सके। यह इंटेलिजेंस गेदरिंग का हिस्सा था, जो पाकिस्तान को भारत के हमलों का जवाब देने में मदद करता।
- कनेक्शन अन्य कंपनियों से: समानांतर में, अमेरिकी कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजीज की इमेजरी ने पाकिस्तानी बेस पर भारतीय हमलों के नुकसान को कन्फर्म किया, लेकिन भारत ने संवेदनशील एरिया (जैसे एयरबेस) पर इमेजिंग पर पाबंदी लगाई थी।
ISRO ने कैसे गेम बिगाड़ा?
- डिटेक्शन: ISRO और अन्य स्पेस मॉनिटरिंग एजेंसियों ने इन सैटेलाइट्स को भारतीय एयरस्पेस पर डिटेक्ट कर लिया। ISRO की एडवांस्ड सेंसर और ट्रैकिंग सिस्टम ने सैटेलाइट्स की पोजिशन और एक्टिविटी को ट्रैक किया।
- काउंटरमेजर्स:
- स्ट्रैटेजिक डिसेप्शन: IAF ने डमी मूवमेंट्स किए, जैसे नॉन-ऑपरेशनल एयरबेस पर डेकॉय एयरक्राफ्ट, व्हीकल्स और रडार सिग्नेचर्स डिप्लॉय किए। इससे पाकिस्तानी सर्विलांस गलत जगह फोकस हो गई।
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW): जामर्स और स्पूफर्स का इस्तेमाल कर सैटेलाइट इमेजरी कलेक्शन को डिसरप्ट किया गया।
- रिजल्ट: असली स्टेजिंग एरिया छिपे रहे, जिससे 10 मई को IAF के फाइनल स्ट्राइक्स सफल हुए। S-400, बराक-8 और आकाश सिस्टम्स ने PAF के 300-400 ड्रोन-मिसाइल अटैक्स को न्यूट्रलाइज किया।
- ISRO की भूमिका: ISRO ने न केवल डिटेक्शन किया, बल्कि NASA के साथ NISAR (NASA-ISRO SAR) जैसे प्रोजेक्ट्स से हाई-रेजोल्यूशन इमेजरी में मदद की, जो भारत को अपनी डिफेंस स्ट्रैटेजी में मजबूत बनाता है।
पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश
- पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के आदमपुर (पंजाब) और भुज (गुजरात) एयरबेस पर स्ट्राइक्स किए, लेकिन सैटेलाइट इमेजरी (ओपन-सोर्स एनालिस्ट डेमियन साइमन द्वारा) ने इसे झूठा साबित किया। इमेजेस डोक्टर्ड थे, और कोई नुकसान नहीं दिखा।
- इसके विपरीत, भारतीय स्ट्राइक्स से पाकिस्तानी बेस पर बड़े क्रेटर्स (15-19 फीट व्यास) बने, जो लंबे समय तक ऑपरेशनल डिसरप्शन का कारण बने।
यह घटना दिखाती है कि आधुनिक युद्ध में स्पेस टेक्नोलॉजी कितनी महत्वपूर्ण है। ISRO की मुस्तैदी ने न केवल जासूसी को रोका, बल्कि IAF को फायदा पहुंचाया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोक दी, लेकिन यह टकराव भारत की डिफेंस कैपेबिलिटी का मजबूत प्रमाण बन गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी कमर्शियल सैटेलाइट सर्विसेज पर अंतरराष्ट्रीय नियमों की जरूरत है, ताकि संवेदनशील डेटा का दुरुपयोग न हो।
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