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New Delhi : चोरी हुए हीरे-पन्नों से जड़े 1 करोड़ के सोने के कलश

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
New Delhi : चोरी हुए हीरे-पन्नों से जड़े 1 करोड़ के सोने के कलश

New Delhi : दिल्ली के लाल किला (Red Fort) परिसर में आयोजित जैन धर्म के धार्मिक अनुष्ठान से चोरी हुआ एक करोड़ रुपये का कीमती कलश विश्व शांति के लिए स्थापित (Gold Urn Stolen) किया गया था. फिर से धर्म के कार्य में बाधा न पड़े इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इस कलश का जैन धर्म में क्या धर्मिक महत्व है, कारोबारी सुधीर जैन ने खुद बताया

चोरी हुआ कलश क्यों है खास?

सुधीर जैन ने बताया कि कलश में हीरा, पन्ना और माणिक्य जैसे बेशकीमती स्टोन जड़े हुए हैं. ये सब तो उसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिए लगाए गए थे. वह कलश तो धर्म के लिहाज से अहम है. उसकी कीमत और अहमियत का मूल्यांकन किया ही नहीं जा सकता.  उससे धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं।

जैन धर्म में कलश स्थापना का महत्व जानें

New Delhi : जैन धर्म में कलश स्थापना का खास महत्व होता है. कलश स्थापना का मकसद भगवान का आह्वान करने और पॉजिटिव और पवित्र ऊर्जा के संचार के लिए किया जाता है. इसको शुभता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. कलश स्थापित करने से पूजा-पाठ और साधना को ज्यादा फलदायी बनाता है। 

कैसे गायब हुआ सोना का हीरा-पन्ना जड़ा कलश?

उन्होंने कहा कि वह पूरे जैन समाज को ये संदेश देना चाहते हैं कि असामाजिक तत्वों से कैसे बचा जा सकता है. इसके लिए उपाय करना जरूरी है. फिलहाल पुलिस अपना काम कर रही है. चोरी से जुड़े कई सबूत पुलिस के हाथ लग चुके हैं. बता दें कि कारोबारी सुधीर जैन रोजाना पूजा के लिए कलश लेकर लालिकला पहुंचते थे. मंगलवार को कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी पहुंचे थे.स्वागत की अफरातफरी के बीच कलश मंच से गायब हो गया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध की गतिविधियां कैद हुई हैं. उसके आधार पर आरोपी की पहचान की जा रही है।

कलश की कीमत जान उड़ जाएंगे होश

 New Delhi : चोरी हुए कलश की कीमत करीब 1 करोड़ रुपये बताई जा रही है. ये कलश सोने का है और कीमती स्टोन से जड़ा हुआ है.  कलश का वजन करीब 760 ग्राम है. इसके साथ ही इस पर 150 ग्राम हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़े हुए हैं. पुलिस ने कलश चुराने वाले संदिग्ध शख्‍स की पहचान कर ली है और जल्द उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।

किले का इतिहास क्या है?

किले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने 1639 में शुरू किया और 1648 में पूरा किया, जिसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली को मुग़ल राजधानी बनाना था. लाल बलुआ पत्थर से बने इस किले को पहले किला-ए-मुबारक कहा जाता था, और यह भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है, जिसमें 1947 में भारत की आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराना और भाषण देना शामिल है. 

लाल किले का असली मालिक कौन था?

लाल किले का वर्तमान मालिक भारत सरकार है. हालाँकि, डालमिया भारत ग्रुप ने इसे ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ योजना के तहत गोद लिया है, पर यह भारत सरकार की संपत्ति ही है. बहादुर शाह जफर-द्वितीय की एक वंशज ने इसे अपना मानने का दावा किया था, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. 

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