తెలుగు | Epaper

Rajastha: हाथ से बनी चीजें कभी नहीं होती पुरानी…

digital@vaartha.com
[email protected]

आज भी लोग चक्की से पीसवाते हैं आटा

भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर जिले के छोटे से गांव घाटोली की पहचान आज भी उसकी पारंपरिक विरासत से जुड़ी है. यहां पुराने समय से पत्थर की चक्की के पार्ट्स बनाए जाते हैं, जो न सिर्फ राजस्थान बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई किए जाते हैं. खास बात यह है कि इन चक्कियों के पार्ट्स की मांग आज भी तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बनी हुई है।

हर एक पार्ट एकदम सटीक बनता

घाटोली में  बनने वाले चक्की के पार्ट्स स्थानीय बलुआ पत्थर से बनाए जाते हैं. यह बलुआ पत्थर न केवल मजबूत होता है, बल्कि इसकी बनावट भी पीसने के लिए उपयुक्त मानी जाती है. यहां के स्थानीय कारीगर पीढ़ियों से इस कला में निपुण हैं और बड़े ही बारीकी से पत्थर को तराशकर चक्की के उपयोगी हिस्सों का निर्माण करते हैं. इस पारंपरिक कार्य में कोई आधुनिक मशीन नहीं, बल्कि हाथों की कला और अनुभव का प्रयोग होता है, जिससे हर एक पार्ट एकदम सटीक बनता है।

लोग पत्थर की चक्की से पीसा हुआ आटा करते पसंद

घाटोली में छोटे घरेलू चक्कियों से लेकर बड़े औद्योगिक चक्की पार्ट्स तक बनाए जाते हैं. इस विशेषता के कारण यह देशभर के बाजारों में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां से बने चक्की के पत्थर कई गांवों, शहरों और दक्षिण भारत के मिलों में भी भेजे जाते हैं. कारीगरों का मानना है कि पत्थर से पीसे हुए आटे में अधिक पौष्टिकता और स्वाद होता है. इसलिए आज भी कई लोग पत्थर की चक्की से पीसा हुआ आटा ही पसंद करते हैं।

पुरानी चीज़ों की मांग कभी खत्म नहीं होती
हालांकि आधुनिक तकनीकों ने बाजार में अपनी जगह बना ली है, फिर भी घाटोली के हस्तनिर्मित पत्थर चक्की पार्ट्स की मांग अब भी बनी हुई है. यह परंपरा ना सिर्फ स्थानीय कारीगरों की आजीविका का स्रोत है, बल्कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ा रही है. घाटोली आज भी यह साबित कर रहा है कि अगर गुणवत्ता और परंपरा साथ हों तो पुरानी चीज़ों की मांग कभी खत्म नहीं होती।

Read more: Rajasthan : 22 मई को बीकानेर आयेंगे प्रधानमंत्री मोदी , देंगे सौगात

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870