कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस से हाल ही में निलंबित हुए मुरशिदाबाद (Murshidabad) के प्रभावशाली नेता एवं विधायक हुमायूं कबीर ने मंगलवार को बड़ा दावा किया कि 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद वह किंगमेकर बनकर उभरेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी प्रस्तावित नई पार्टी (New Party) के समर्थन के बिना राज्य में कोई भी सरकार बनाना असंभव होगा।
कबीर का दावा: चुनाव परिणाम के बाद मैं ही किंगमेकर
कबीर ने संवाददाताओं से कहा, “2026 में न तो तृणमूल कांग्रेस (Trinmul Congress) और न ही भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर पाएगी। 294 सीटों वाली विधानसभा में कोई भी दल 148 का आंकड़ा नहीं छू सकेगा। चुनाव परिणाम आने के बाद मैं किंगमेकर बनूंगा। जो भी मुख्यमंत्री बनेगा, उसे मेरे विधायकों का समर्थन लेना पड़ेगा।”
नई पार्टी की तैयारी और सीटों का आंकड़ा
उन्होंने आगे कहा कि उनकी नई पार्टी कम से कम 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इतनी सीटें जीतेगी कि सरकार बनाने या गिराने की स्थिति में रहेगी। नई पार्टी की औपचारिक घोषणा 22 दिसंबर को होगी। पार्टी का नाम पूछे जाने पर कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “22 दिसंबर के बाद सब कुछ अपने आप पता चल जाएगा।”
तृणमूल का पलटवार: हुमायूं के दावे को बताया निराधार
तृणमूल कांग्रेस ने कबीर के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी के प्रदेश महासचिव अरूप चक्रवर्ती ने कहा, “हुमायूं कबीर दिवास्वप्न देख रहे हैं। सरकार बनाने की बात करने से पहले उन्हें अपनी जमानत बचाने की चिंता करनी चाहिए। ऐसे निराधार दावे उनकी राजनीतिक हताशा को ही दर्शाते हैं।”
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मुर्शिदाबाद में नई मस्जिद के लिए तीन करोड़ से अधिक चंदा
इस बीच, हुमायूं कबीर के करीबियों ने दावा किया कि मुरशिदाबाद में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद शैली की नई मस्जिद के लिए अब तक लगभग तीन करोड़ रुपये का चंदा इकट्ठा हो चुका है। उनके अनुसार, मस्जिद परिसर में रखी 12 दान पेटियों से 57 लाख रुपये नकद मिले हैं, जबकि क्यूआर कोड के जरिए 2.47 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। चंदा लगातार बढ़ रहा है।
राजनीतिक आधार मजबूत करने की तैयारी
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कबीर नई पार्टी के जरिए मुर्शिदाबाद और आसपास के मुस्लिम बहुल इलाकों में मजबूत आधार बनाने की तैयारी में हैं। उनके इस दावे ने 2026 के चुनावी समीकरण को और रोचक बना दिया है।
हुमायूं कबीर कौन हैं?
हुमायूँ कबीर (1906-1969) एक भारतीय शिक्षाविद् और राजनीतिज्ञ थे। वे बंगाली भाषा के कवि, निबंधकार और उपन्यासकार भी थे। वे एक प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक भी थे। उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड के एक्सेटर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और 1931 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
क्या हुमायूं कबीर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं?
उन्होंने 2016 के चुनावों में अपने पूर्ववर्ती रबीउल चौधरी से रेजिनगर सीट बरकरार रखने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2018 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2019 के आम चुनावों में मुर्शिदाबाद सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन टीएमसी से हार गए।
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