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Hindi News वक्फ संशोधन बिल: सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा ?

Vinay
Vinay
Hindi News वक्फ संशोधन बिल: सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा ?

नई दिल्ली, 17 सितंबर 2025 – वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच, कोर्ट ने कुछ प्रमुख प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Ovaisi) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने इसे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अपर्याप्त बताया है और कहा है कि यह मोदी सरकार के कानून से वक्फ की रक्षा नहीं कर पाएगा।

वक्फ संशोधन बिल की पृष्ठभूमि

वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 को अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसे अप्रैल 2025 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। यह बिल 1995 के वक्फ एक्ट में व्यापक बदलाव लाता है, जिसमें वक्फ संपत्तियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण बढ़ाना, गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्डों में शामिल करना, और नई वक्फ बनाने के लिए व्यक्ति को कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन करने की शर्त शामिल है। विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों (अनुच्छेद 26) का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया।

ओवैसी सहित कई विपक्षी नेता, जैसे कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, जमीअत उलेमा-ए-हिंद, और अन्य ने अप्रैल 2025 में ही सुप्रीम कोर्ट में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी। याचिकाओं में दावा किया गया कि यह बिल मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है, भेदभावपूर्ण है (अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन), और मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश

15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अंतरिम राहत पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने निम्नलिखित प्रावधानों पर रोक लगाई:

प्रावधानकोर्ट का फैसला
जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति की स्थिति तय करने का अधिकारकलेक्टर अंतिम निर्णायक नहीं होगा; विवादों का फैसला बोर्ड या कोर्ट करेगा।
वक्फ बनाने के लिए 5 साल इस्लाम का पालन करने की शर्तपूर्ण रूप से स्थगित; हाल के धर्मांतरित भी वक्फ बना सकेंगे।
वक्फ बोर्डों और केंद्रीय परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्यासीमित की गई; अधिकतम संख्या तय।

कोर्ट ने पूरे बिल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, क्योंकि “कानून की संवैधानिकता का अनुमान हमेशा उसके पक्ष में होता है।” अगली सुनवाई 20 मई 2025 को निर्धारित है। कोर्ट ने यह भी कहा कि “वक्फ बाय यूजर” (उपयोग से वक्फ) की संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा।

ओवैसी की प्रतिक्रिया: “शैतान विवरणों में छिपा है”

ओवैसी ने NDTV को दिए इंटरव्यू में कहा, “यह अंतरिम आदेश वक्फ संपत्तियों को मोदी सरकार के कानून से बचाने में सक्षम नहीं होगा। कुछ धाराएं स्थगित की गई हैं, लेकिन प्रमुख संशोधन अभी भी लागू रहेंगे।” उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही बिल की पूरी वैधता पर फैसला लेगा।

ओवैसी ने गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमित संख्या पर सवाल उठाते हुए कहा, “एक ऐसी पार्टी जो मुसलमानों को टिकट नहीं देती, क्या वह मुस्लिम अधिकारी चुनेगी? इंटेलिजेंस ब्यूरो में कितने मुसलमान हैं? यह अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। अगर SGPC में गैर-सिख सदस्य बनाए जाते, तो सिख समुदाय क्या महसूस करता?” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का असली उद्देश्य वक्फ तंत्र को कमजोर करना है, ताकि कोई संपत्ति वक्फ न दान करे।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

  • कांग्रेस: महाराष्ट्र नेता नसीम खान ने इसे “भाजपा की घमंड पर तमाचा” बताया।
  • सपा: जिया उर रहमान बर्क ने स्वागत किया, लेकिन अंतिम फैसले की उम्मीद जताई।
  • एआईएमपीएलबी: सैयद कासिम रसूल इलियास ने इसे “बड़ी राहत” कहा, खासकर “वक्फ बाय यूजर” पर रोक के लिए।
  • सरकार: केंद्र ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि कोई संपत्ति डिनोटिफाई नहीं होगी।

यह मामला मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्वायत्तता और राज्य नियंत्रण के बीच संतुलन का प्रतीक है। ओवैसी की मुखरता ने एक बार फिर बहस को तेज कर दिया है। क्या सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बिल को रद्द करेगा? आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा।

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