पुणे, 1 अगस्त, 2025: सत्रह साल पुराने मालेगांव (MaleGaanv Blast) बम विस्फोट मामले ने एक बार फिर देश को हिलाकर रख दिया है। 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाके, जिसमें 6 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए, ने “भगवा आतंकवाद” का विवादास्पद नैरेटिव जन्म दिया था। अब, इस केस में नया ट्विस्ट आया है, जब पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के आदेश मिले थे। क्या यह एक सियासी साजिश थी, या जांच की गलत दिशा? यह कहानी रहस्य और सवालों से भरी है।
31 जुलाई, 2025 को NIA की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस फैसले ने 17 साल के लंबे इंतजार को खत्म किया, लेकिन मुजावर के खुलासे ने नया बवंडर खड़ा कर दिया। मुजावर, जो 2008 में ATS की जांच टीम का हिस्सा थे, ने बताया कि उनके वरिष्ठ अधिकारी, परमबीर सिंह, ने उन्हें मोहन भागवत, राम कलसांगरा, और संदीप डांगे जैसे लोगों को पकड़ने का गोपनीय आदेश दिया था। मुजावर ने दावा किया, “यह ‘भगवा आतंकवाद’ को साबित करने की साजिश थी, लेकिन मैंने आदेश का पालन नहीं किया।”
RSS ने इस खुलासे को “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया। संगठन के प्रवक्ता ने कहा, “मोहन भागवत का इस केस से कोई लेना-देना नहीं था। यह RSS को बदनाम करने की कोशिश थी।” मुजावर ने यह भी बताया कि उनके इस इनकार के बाद उनके खिलाफ झूठे केस बनाए गए, लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी किया।
यह खुलासा कई सवाल उठाता है। क्या ATS पर सियासी दबाव था? क्या “भगवा आतंकवाद” का नैरेटिव जानबूझकर गढ़ा गया? या यह खुलासा RSS की छवि चमकाने का प्रयास है? सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है, जहां कुछ लोग इसे साजिश मान रहे हैं, तो कुछ जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।
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