ट्रूडो से हटकर दिखी अलग सोच
कनाडा के पूर्व सेंट्रल बैंक गवर्नर और संभावित प्रधानमंत्री पद के दावेदार मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित करने की बात कहकर एक नया संकेत दिया है। यह कदम जस्टिन ट्रूडो की मौजूदा नीति से हटकर माना जा रहा है, जिससे दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों को राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
मोदी को निमंत्रण: संदेश क्या है?
मार्क कार्नी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को औपचारिक या अनौपचारिक रूप से आमंत्रित करने की पेशकश कनाडा की विदेश नीति में बदलाव का संकेत देती है। यह कदम भारत के प्रति एक सकारात्मक रुख को दर्शाता है और संकेत देता है कि भविष्य में संबंधों को सामान्य करने की कोशिशें तेज़ हो सकती हैं।
भारत के अंदरूनी मामलों में दखल
इसके बाद 2020 में जब कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसानों ने दिल्ली के किनारों पर धरना दिया तब सिख किसानों की तरफ़ से ट्रूडो ने फिर भारत सरकार के विरुद्ध एक बयान दे दिया. इससे नरेंद्र मोदी सरकार नाराज हो गई और उन्होंने ट्रूडो को दूसरे संप्रभु देश के अंदरूनी मामले में दखल देने का आरोप लगाया. जस्टिन ट्रूडो की सरकार सिख सांसदों और अतिवादी पार्टी NDP के उस वक्त के अध्यक्ष जगमीत सिंह के सहयोग से चल रही थी इसलिए वे वही करते जो जगमीत उनसे कहते. इसके अलावा वे अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन के मोहरे थे. इसलिए उन्होंने एक कनाडाई सिख नागरिक निज्जर की हत्या में भारत पर अंगुली उठाई. इस वजह से भारत से उनके रिश्ते बहुत कटु हो गए थे. नवंबर में जब USA में बाइडेन हारे तब ट्रूडो की विदाई भी तय मानी जा रही थी।
सिख अतिवादियों के हौसले पस्त
नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आते ही भारत के साथ सहयोग पर जोर दिया. उनके इस भरोसे के साथ ही कनाडा में पल रहे सिख उग्रवादियों के हौसले पस्त हो गए. फिर ट्रंप के टैरिफ वार ने भी कनाडा को दुनिया में अन्य देशों के साथ दोस्ती और भरोसे का रिश्ता बनाने की तरफ प्रेरित किया. भारत एशिया में तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. हालांकि चीन से वह पीछे है. लेकिन चीनी चालबाजियों से कार्नी भी वाकिफ हैं. टोरंटो के कई इलाकों में चीन ने अपने थाने खोल रखे हैं. तीन साल पहले जब यह खबर मीडिया में आई तब कनाडा सरकार के कान खड़े हुए. चीन ने सफाई दी कि ऐसा उसने अपने देश के प्रवासियों की सुरक्षा के लिए किया था. किंतु इसके बाद शक की सुई चीन की तरफ मुड़ गई थी।
कार्नी भारत से अच्छे संबंध रखेंगे
कनाडा की नई संसद के पहले सत्र का उद्घाटन करने जब किंग जॉर्ज ऑटवा गए, तब उन्होंने कार्नी को भारत से बेहतर रिश्ते रखने को भी कहा था. इंग्लैंड के संवैधानिक प्रमुख किंग जॉर्ज कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कुछ अफ्रीकी तथा कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों के भी संविधान प्रमुख हैं. उनकी संसद को शुरू करने वे या उनका कोई प्रतिनिधि इन देशों में जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी किंग से मिलने के लिए उनके पास पहुंचे पर उन्होंने अलग से समय नहीं दिया. कार्नी अपने देश में भारतवासियों की ताकत पहचानते हैं, इसीलिए उन्होंने अनिता आनंद को अपना विदेश मंत्री बनाया हुआ है. जो लोग नरेंद्र मोदी को G-7 में अभी तक न बुलाए जाने से खुशियां मना रहे थे, उन पर जरूर वज्रपात हुआ है।
संभावित प्रभाव: डेंट की मरम्मत की शुरुआत?
कार्नी का रुख भारत-कनाडा संबंधों में आए ‘डेंट’ या खटास को ठीक करने की ओर पहला कदम हो सकता है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह बयान महज एक राजनीतिक संकेत है या वास्तव में कनाडा की विदेश नीति में बदलाव का आरंभ।