Hindi News: शादी 1 साल दो महीने, गुजारा भत्ता 5 करोड़? सपने बड़े…जानें सुप्रीम कोर्ट क्यों हुआ नाराज

By Vinay | Updated: September 23, 2025 • 4:31 PM

नई दिल्ली, 23 सितंबर 2025: सुप्रीम कोर्ट ने एक तलाक के मामले में पत्नी की 5 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते की मांग पर कड़ी नाराजगी जताई है। मात्र 1 साल और 2 महीने की शादी के बाद इतनी बड़ी रकम की मांग को अदालत ने “अनुचित” और “सपनों से भरी” बताते हुए फटकार लगाई। जस्टिस जे बी पारदीवाला की अगुआई वाली बेंच ने पति के वकील से कहा, “उसे वापस बुलाकर आप बहुत बड़ी भूल करेंगे। आप उसे अपने पास नहीं रख पाएंगे, उसके सपने बहुत बड़े हैं।” यह टिप्पणी एक ऐसे दंपति पर आई, जहां पति अमेजन में इंजीनियर हैं और उन्होंने समझौते के लिए मात्र 35 लाख रुपये की पेशकश की थी।

विवाद की शुरुआत

यह मामला एक युवा जोड़े का है, जिनकी शादी 2023 में हुई थी। शादी के मात्र 14 महीनों बाद पत्नी ने तलाक की याचिका दायर की और गुजारा भत्ते के रूप में 5 करोड़ रुपये की मांग की। पत्नी का दावा था कि पति की नौकरी और कमाई को देखते हुए यह रकम उचित है। पति, जो अमेजन इंडिया में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, ने कहा कि वे 35 लाख रुपये एकमुश्त भुगतान करने को तैयार हैं, लेकिन इतनी बड़ी रकम देना असंभव है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस पारदीवाला, जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की।

कोर्ट ने पत्नी की मांग को “अवास्तविक” करार देते हुए कहा कि गुजारा भत्ता पत्नी के सम्मानजनक जीवन के लिए होता है, न कि पति को सजा देने या “वसूली” के लिए। बेंच ने चेतावनी दी कि यदि पत्नी इस मांग पर अड़ी रहीं, तो उन्हें “बहुत कठोर आदेश” का सामना करना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने पति के वकील को संबोधित करते हुए सख्त लहजे में कहा, “आप उसे वापस बुलाने की सोच भी न लें। उसके सपने इतने बड़े हैं कि आप कभी पूरा नहीं कर पाएंगे।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादी का बंधन भावनाओं और विश्वास पर टिका होता है, न कि आर्थिक लेन-देन पर। पीठ ने दंपति को आगे की समझौता वार्ता के लिए सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र (Mediation Centre) में लौटने का निर्देश दिया। साथ ही, पत्नी को 5 करोड़ की मांग छोड़ने की सलाह दी, वरना कोर्ट खुद फैसला लेगा।

यह फैसला गुजारा भत्ते के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के हालिया रुख को दर्शाता है। कोर्ट ने पहले भी कहा है कि गुजारा भत्ता तय करने के लिए निम्नलिखित कारक महत्वपूर्ण हैं:

इस मामले में शादी की छोटी अवधि को देखते हुए कोर्ट ने मांग को असंगत माना।

पति-पत्नी के पक्ष

व्यापक प्रभाव

यह मामला तलाक और गुजारा भत्ते के विवादों को नई बहस छेड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह रुख महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करते हुए पुरुषों पर अनुचित बोझ को रोकने का प्रयास है। वकील और फैमिली काउंसलर ने सलाह दी कि शादी से पहले वित्तीय समझौते (प्रीनप) पर विचार किया जाए।

कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है, और अगली सुनवाई में समझौते की रिपोर्ट मांगी गई है। यह घटना साबित करती है कि कानून भावनाओं और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाता है, न कि “सपनों” को।

Read Also

5 crore alimny demanded alimony semanding alomony breaking news Hindi News letest news supreme court