Uttarkashi : आपदा नहीं, धार्मिक और सांस्कृतिक खजानों का भी है इतिहास

By Anuj Kumar | Updated: August 7, 2025 • 1:10 PM

नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) से धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से बारिश और कीचड़-पत्थरों का तूफान आया था, जिसने कुछ ही पलों में घर-दुकानों को बहा दिया। अभी तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और कई लोग लापता हैं.राहत टीमें जुट गई हैं, लेकिन पहाड़ी इलाके में हालात को संभालना आसान नहीं है। अभी भी कई टीमें राहत व बचाव कार्य में लगी हैं, लेकिन यही उत्तरकाशी एक ऐसी जगह है जहां आस्था और इतिहास की गहराई है। यहां सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक खजाने भी छिपे हैं।

उत्तरकाशी ऋग्वैदिक काल से ही प्रसिद्ध रहा है

बता दे उत्तरकाशी गढ़वाल क्षेत्र का हिस्सा था और ऋग्वैदिक काल (Rigvedic Period) से ही प्रसिद्ध रहा है। महाभारत काल में पांडवों के पतंगिनी में ठहरने का वर्णन मिलता है। 1930 में रवाईं कांड आंदोलन हुआ था, जो जंगल कानूनों के खिलाफ था। 1960 में उत्तरकाशी को एक स्वतंत्र जिला बनाया गया और 2000 में यह उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बन गया। इसे‘उत्तरी काशी’ कहते हैं क्योंकि यहां का विश्वनाथ मंदिर वाराणसी की तरह है वह भी गंगा के किनारे बसा हुआ है।

गंगा और यमुना यहीं से निकलती हैं जो सबसे बड़े तीर्थों में से हैं

पवित्र गंगा और यमुना यहीं से निकलती हैं जो हिंदू धर्म (Hindu Religious) में सबसे बड़े तीर्थों में से हैं। 1800 के दशक में गोरखाओं ने कब्जा किया था फिर अंग्रेजों की मदद से गढ़वाल ने इसे वापस लिया। 1960 में जिला बना और 2000 में उत्तराखंड का हिस्सा बना। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान यहां है जहां हर साल युवा पहाड़ों पर चढ़ना सीखते हैं। ऐसा नहीं कि उत्‍तरकाशी में इस तरह का हादसा पहली बार हुआ है इससे पहले यहां 1991 में भूकंप आया था।

2023 में टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाया गया

इसके अलावा 2023 में टनल हादसा हुआ था और अब 2025 में बादल फट गया। उत्तरकाशी सिर्फ आपदा या तीर्थ नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जो हर किसी को अपनी और आकर्षित करती है। चाहे आप ट्रैकिंग के दीवाने हों, मंदिरों के भक्त हों या फिर इतिहास में रुचि रखते हों। यहां हर चीज आपको बांधे रखेगी। 1991 में आए भूकंप ने इसे हिलाया 2023 में टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाया गया और आज फिर प्रकृति ने सबको चौंका दिया। फिर भी ये जगह अपनी खूबसूरती और आध्यात्मिकता से लोगों का दिल जीतती है। उत्तरकाशी एक ऐसा जिला है, जहां खतरे और आस्था साथ-साथ चलते हैं

उत्तरकाशी का पुराना नाम क्या है?

उत्तरकाशी का ऐतिहासिक नाम ” बाड़ाहाट ” इसके अतीत में गहराई से समाया हुआ है। “बाड़ाहाट” का अर्थ “बड़ा बाज़ार” या “व्यापार केंद्र” होता है, जो इस क्षेत्र में एक व्यावसायिक केंद्र के रूप में इसकी भूमिका को दर्शाता है। प्राचीन काल में, उत्तरकाशी या बाड़ाहाट व्यापार मार्गों के संगम स्थल के रूप में कार्य करता था।

क्या उत्तरकाशी एक ज्योतिर्लिंग है?

स्कुंद पुराण के अनुसार, उत्तरकाशी को कलियुग में भगवान शिव के निवास ‘सौम्य वाराणसी’ के रूप में जाना जाता है और इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में गिना जाता है ।

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