भारत ने सटीक इंटेलिजेंस के आधार पर सीमित लेकिन प्रभावी कार्रवाई की
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में मौजूद उन आतंकियों को निशाना बनाया जो सीधे तौर पर पहलगाम अटैक में शामिल थे। इस ऑपरेशन की खास बात ये थी कि भारत ने सटीक इंटेलिजेंस के आधार पर सीमित लेकिन प्रभावी कार्रवाई की। लेकिन इससे पाकिस्तान सकते में आ गया। इसी के बीच तालिबान के बड़े नेता अब्दुल सलाम जईफ का बयान भी सामने आया। उन्होंने साफ कहा कि पश्तूनों को भारत पाक के इस झगड़े से दूर रहना चाहिए। यानी सीधे सीधे पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा संदेश और भारत के लिए एक अप्रत्यक्ष समर्थन देखने को मिला है। तालिबान के इस बयान की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि अब्दुल सलाम जईफ कोई मामूली नेता नहीं हैं। वो अफगानिस्तान के बड़े नेताओं में से एक हैं और पाकिस्तान में अफगान राजदूत रह चुके हैं।
मस्जिदों से भारत के समर्थन में हो रही हैं बातें
आज जब अब्दुससलाम जब पश्तूनों को पाकिस्तान से दूर रहने की सलाह देते हैं तो ये सिर्फ बयान नहीं पाकिस्तान के रणनीतिक सपनों पर चोट है। बता दें कि खैबर पख्तूनवा पाकिस्तान का वो हिस्सा जो पहले ही पाकिस्तानी फौज के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी बना हुआ है। वहीं से अब मस्जिदों से भारत के समर्थन में बातें हो रही हैं। अब तालिबान की तरफ से बयान पाकिस्तान के लिए दोहरी मार है। अंदर से भी और बाहर से भी। भारत ने हमेशा अफगानिस्तान के पूर्ण निर्माण में मदद की है। अस्पताल, स्कूल, बांध और संसद भवन जैसे प्रोजेक्ट अफगानिस्तान को याद है। इसलिए भारत के लिए अफगान लोगों के दिलों में सम्मान है।

भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों को जवाब दिया तो अफगानिस्तान में तालियां बज उठी
पाकिस्तान को वो धोखे और आतंक का दूसरा नाम मानते हैं। इसलिए जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों को जवाब दिया तो अफगानिस्तान में तालियां बज उठी। पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच भारत और अफगानिस्तान ने गुपचुप मीटिंग की थी। 22 अप्रैल की तारीख अब इतिहास के पन्नों में पाकिस्तान की काली करतूत के रूप में दर्ज हो चुकी है। ये वे पन्नों होंगे जो पाकिस्तान के जघन्य अपराधों को भविष्य में दुनिया के सामने रखेगा कि वो आखिर कैसे दूसरे देशों को परेशान करता है। आतंकिस्तान की फैक्ट्री कहे जाने वाला पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया है।
अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और विशेषज्ञता की कर रहा तलाश
दोनों नेताओं के बीच बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और आर्थिक तथा कूटनीतिक दोनों क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। अफगानिस्तान में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने भारतीय निवेशकों को उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया, खासकर उन क्षेत्रों में जहां अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और विशेषज्ञता की तलाश कर रहा है।
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