PM Modi rahul gandhi meeting : नई दिल्ली संसद के शीतकालीन सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच हुई 88 मिनट की बैठक ने राजनीतिक हलकों में कयासों का बाजार गरमा दिया। शुरुआत में यह बैठक केवल मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के नाम पर चर्चा के लिए मानी जा रही थी, लेकिन बाद में सामने आया कि बातचीत का दायरा कहीं ज्यादा व्यापक था।
नियमों के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्तों और सतर्कता आयुक्त जैसे अहम पदों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, उनके द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता की संयुक्त समिति द्वारा की जाती है। इस बैठक में प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी दोपहर एक बजे प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे और बैठक 1.07 बजे शुरू हुई। निर्धारित समय से कहीं ज्यादा चली इस बैठक को लेकर संसद के गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि इसमें अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार किया गया है।
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करीब 88 मिनट बाद राहुल गांधी बाहर आए, जिसके बाद यह (PM Modi rahul gandhi meeting) स्पष्ट हुआ कि चर्चा केवल मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति तक सीमित नहीं रही, बल्कि आठ सूचना आयुक्तों और एक सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति पर भी विचार हुआ।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने प्रस्तावित सभी नियुक्तियों पर आपत्ति जताई और अपनी आपत्तियां लिखित रूप में भी दर्ज कराईं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसी बैठकों में विपक्ष की ओर से आपत्तियां दर्ज कराना असामान्य नहीं है। इससे पहले मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, जब भी विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, इसी तरह की आपत्तियां उठाते रहे हैं।
वर्तमान में केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित आठ पद रिक्त हैं। सूचना आयोग आरटीआई आवेदकों द्वारा दाखिल की गई अपीलों और शिकायतों पर फैसला करता है। सितंबर 13 को हेमलाल सामरिया के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली पड़ा है।
आयोग की वेबसाइट के अनुसार, फिलहाल करीब 30,838 मामले लंबित हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 12(3) के तहत प्रधानमंत्री चयन समिति के अध्यक्ष होते हैं, जो मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के नामों की सिफारिश करती है।
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