विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताज़ा रिपोर्ट ने रेबीज संक्रमण (Rabies infection) को लेकर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 59 हजार से अधिक लोग रेबीज से मरते हैं, जिनमें से 95 फीसदी मामले एशिया और अफ्रीका से आते हैं। WHO का कहना है कि यह आंकड़ा वास्तविकता में और भी ज्यादा हो सकता है।
भारत में प्रत्येक साल 21 हजार मौतें
एशिया में रेबीज सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में सामने आई है। यहां हर साल अनुमानित 35,172 मौतें दर्ज होती हैं। इन मौतों में 59.9% भारत से जुड़ी होती हैं। इसका अर्थ है कि अकेले भारत में ही हर साल करीब 21,068 लोग रेबीज से मरते हैं, यानी औसतन हर दिन 58 मौतें। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से आधे से ज्यादा पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं।
99% संक्रमण कुत्तों से फैलता है
WHO की रिपोर्ट बताती है कि रेबीज के लगभग 99% मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। यह बीमारी खासकर ग्रामीण और गरीब तबके को ज्यादा प्रभावित करती है, जहां जागरूकता और समय पर इलाज की कमी रहती है। दूसरी तरफ, पश्चिमी यूरोप, अमेरिका, कनाडा, जापान और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों में रेबीज का लगभग उन्मूलन हो चुका है।
भारत में वैश्विक मौतों का 36% हिस्सा
वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया में रेबीज से होने वाली कुल मौतों का 36% केवल भारत में होता है। यह तथ्य बताता है कि भारत को रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध होने के बावजूद जागरूकता की कमी, समय पर इलाज न मिलना और सड़कों पर बढ़ते आवारा कुत्तों की संख्या इस समस्या को और भयावह बना रही है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
इसी बीच, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या पर अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अब केवल रेबीज ग्रस्त और आक्रामक कुत्तों को ही नगर निकायों के शेल्टर होम में रखा जाए। बाकी आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और कीड़ानाशक दवा देने के बाद उन्हें वहीं छोड़ दिया जाए, जहां से पकड़ा गया था। कोर्ट ने दिल्ली में शेल्टर होम में रखे गए कुत्तों को भी छोड़ने के निर्देश दिए हैं।
चुनौती और समाधान
रेबीज से निपटने के लिए विशेषज्ञों का मानना है कि
- आम जनता में जागरूकता बढ़ाना,
- कुत्तों के लिए नियमित टीकाकरण करना,
- बच्चों को विशेष सुरक्षा और जानकारी देना,
- और तेज़ उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराना बेहद ज़रूरी है।
भारत जैसे देश में जहां ग्रामीण आबादी विशाल है, वहां यह समस्या और गंभीर रूप ले लेती है।
रेबीज का असर कितने दिन में दिखता है?
रेबीज के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 महीने बाद दिखाई देते हैं, लेकिन यह अवधि कुछ हफ्तों से लेकर एक वर्ष या उससे भी अधिक तक हो सकती है.
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