ED Raid : बंगाल में TMC विधायक जीवन कृष्ण साहा के घर छापेमारी

By Anuj Kumar | Updated: August 25, 2025 • 11:49 AM

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कथित शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी की टीम ने सोमवार को मुर्शिदाबाद जिले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक जीवन कृष्ण साहा के आवास पर छापेमारी की। इस दौरान हालात नाटकीय हो गए, जब विधायक ने एजेंसी की कार्रवाई से बचने के लिए चारदीवारी फांदकर भागने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया और हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी।

कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम

जैसे ही ईडी की टीम साहा के घर पहुंची और छापेमारी शुरू की, विधायक को भनक लग गई। घबराहट में उन्होंने पिछली दीवार फांदकर फरार होने की कोशिश की।ईडी अधिकारियों ने उनका पीछा किया और थोड़ी दूर जाकर उन्हें दबोच लिया। इसके बाद उन्हें वापस उनके आवास लाया गया, जहां एजेंसी की टीम पूछताछ कर रही है। छापेमारी के दौरान ईडी को कथित तौर पर कई अहम दस्तावेज और लेन-देन से जुड़े कागजात हाथ लगे हैं।

धन शोधन की जांच में आया नाम

ईडी अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई बीरभूम जिले के एक व्यक्ति द्वारा किए गए संदिग्ध लेन-देन की जानकारी के आधार पर की गई। माना जा रहा है कि इस लेन-देन का सीधा संबंध स्कूल शिक्षक भर्ती घोटाले से है। इसी सिलसिले में ईडी पहले भी विधायक साहा की पत्नी से पूछताछ कर चुकी है। आज की छापेमारी के दौरान बीरभूम का वही व्यक्ति भी ईडी टीम के साथ विधायक के घर मौजूद था।

पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी

विधायक जीवन कृष्ण साहा का नाम इस घोटाले में नया नहीं है। अप्रैल 2023 में सीबीआई ने उन्हें इसी मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि, उसी साल मई में उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी। तब से लेकर अब तक जांच एजेंसियां लगातार उनसे जुड़े वित्तीय लेन-देन और कनेक्शन खंगाल रही हैं।

घोटाले की दोहरी जांच

गौरतलब है कि इस पूरे घोटाले की जांच दो केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं

सीबीआई (CBI): आपराधिक षड्यंत्र और भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों की जांच।

इस वजह से मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है और कई नेता व अधिकारी जांच के घेरे में आ चुके हैं।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल

ईडी की इस छापेमारी ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में फिर हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि शिक्षक भर्ती घोटाला राज्य सरकार की मिलीभगत से हुआ है और इसमें कई बड़े नेता शामिल हैं। दूसरी ओर, टीएमसी नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार की एजेंसियां राजनीतिक प्रतिशोध के तहत राज्य के विधायकों और मंत्रियों को टारगेट कर रही हैं।

क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?

यह घोटाला पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े भर्ती घोटालों में से एक माना जाता है। आरोप है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। पात्र उम्मीदवारों को दरकिनार कर भारी रकम लेकर अयोग्य लोगों को नौकरी दी गई। अनुमान है कि इस घोटाले में करोड़ों रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसमें कई प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता है।

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