11 वर्षों में रेलवे नेटवर्क का अभूतपूर्व विस्तार
- पिछले एक दशक में जम्मू-कश्मीर में रेलवे नेटवर्क में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
- उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना को प्रमुख प्राथमिकता दी गई।
- कई सुरंगों और पुलों के निर्माण से दुर्गम क्षेत्रों तक रेल सेवा पहुँची।
- जम्मू-कश्मीर रेल नेटवर्क के मामले में लगातार नए मुकाम हासिल करता जा रहा है. वंदे भारत एक्सप्रेस अब कटरा और श्रीनगर के बीच चलने को तैयार है. इस ट्रेन के शुरू होने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को खासा फायदा होगा और यात्रा में समय भी कम लगेगा. खास बात यह है कि मोदी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद पिछले 11 सालों में केंद्र शासित प्रदेश में रेल नेटवर्क का काफी विस्तार हुआ है. यहां पर पहुंच आसान हुई है और लोगों को काफी अवसर भी मिले हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले हैं. इस दौरान पीएम मोदी नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे, साथ ही वह इंजीनियरिंग जगत की 2 खास उपलब्धि चिनाब पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल और अंजी में भारत के पहले केबल स्टेड रेल पुल का उद्घाटन भी करेंगे. रेल के नक्शे पर जम्मू-कश्मीर पूर्ण विद्युतीकरण, समर्पित रेलवे डिवीजन और स्टेशन आधुनिकीकरण के साथ आगे बढ़ रहा है।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज
चिनाब रेल ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है और इसे नदी के तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है. इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से 35 मीटर अधिक है. 1,315 मीटर में फैली स्टील की यह आर्च संरचना उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का अहम हिस्सा है और भारतीय इंजीनियरिंग के मामले में बड़ी कामयाबी भी है।
इस ब्रिज को बेहद खास तरीके से तैयार किया गया है. दुर्गम इलाकों और मौसम की खराब से खराब स्थितियों को सहने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे तक की हवा की रफ्तार का सामना करने में सक्षम है और इसे अगले 120 साल तक के लिए बनाया गया है. इसे बनाने में करीब 1,486 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
ब्रिज के लिए टेक्ला सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल
भारत की तकनीकी प्रगति का जायजा इससे भी लगाया जा सकता है कि इसे माइनस 10 डिग्री से लेकर -40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहने को लेकर उपयुक्त स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल किया गया है. इसकी स्ट्रक्चरल डिटेलिंग के लिए सबसे अत्याधुनिक टेक्ला (Tekla) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया, जिससे डिजाइन और कार्यान्वयन में उच्च स्तर की सटीकता संभव हुई।
इस ब्रिज के शुरू होने से जम्मू और श्रीनगर के बीच संपर्क को बेहतर हो जाएगा. इस ब्रिज के जरिए वंदे भारत एक्सप्रेस के गुजरने से कटरा और श्रीनगर के बीच यात्रा का समय घटकर महज तीन घंटे का रह जाएगा. अब इस यात्रा में दो से तीन घंटे की कमी आएगी।
11 महीने में तैयार हुआ अंजी खड्ड ब्रिज
हिमालय की ऊबड़-खाबड़ धरती पर मजबूती से खड़ा अंजी खड्ड ब्रिज (Anji Khad Bridge) देश का पहला केबल स्टेड रेलवे ब्रिज है. यह ब्रिज चिनाब के दक्षिण में गहरी अंजी नदी घाटी में फैला हुआ है, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन के कटरा बनिहाल डिविजन को जोड़ता है।
यह पुल जम्मू से करीब 80 किलोमीटर दूर बर्फ से ढकी चोटियों को बेहद खास बनाता है. नदी तल से करीब 331 मीटर ऊंचाई और 725 मीटर की चौड़ाई में फैला यह ब्रिज 96 हाई टेन्सिल केबलों पर बना है. इसके बीच में एक औंधा वाई आकार का स्तंभ है. इसे 193 मीटर ऊंचाई पर बनाया गया है. पुल में इस्तेमाल की गई केबल स्ट्रैंड की कुल लंबाई करीब 653 किलोमीटर है. इस ढांचे को महज 11 महीने में तैयार किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में फैला रेल नेटवर्क
- इसी तरह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) आजादी के बाद देश में शुरू की गई बेहद महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं में से एक है। हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में 272 किलोमीटर तक फैली इस परियोजना को करीब 43,780 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह करीब 119 किलोमीटर तक फैली हुई है और इसमें 36 सुरंगें और घाटियों, चोटियों और पहाड़ी दर्रों को जोड़ने वाले 943 ब्रिज शामिल हैं. यह रेल लिंक राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ती है, साथ ही जम्मू-कश्मीर के लिए गतिशीलता, व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में नया अध्याय भी जोड़ती है।
- पिछले 11 सालों में, केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में रेल के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार काम किया है. साथ ही तीर्थयात्रा से जुड़े रास्तों के विस्तार और विश्व स्तरीय स्टेशनों के निर्माण से लेकर नई लाइनें चालू करने और इलेक्ट्रिक ट्रेनें शुरू की गई, इस वजह से इस क्षेत्र को काफी लाभ पहुंचा है. टी-50 सुरंग, एक रेलवे डिवीजन का निर्माण और पूरे ट्रैक का विद्युतीकरण जैसी रणनीतिक परियोजनाएं स्थायी संपर्क, आर्थिक विकास और समावेशी विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
11 सालों में रेल सुविधाओं का विस्तार
- खास बात यह भी है कि जम्मू-कश्मीर ने अपने रेलवे ट्रैक का 100 फीसदी विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जो इस क्षेत्र में अधिक कुशल और टिकाऊ रेल परिवहन की दिशा में बेहद अहम कदम है. पिछले 11 सालों में यहां काफी काम हुआ है।
- कटरा रेल लिंक चलने के साथ ही श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्टेशन का निर्माण किया गया. जुलाई 2014 में श्री शक्ति एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस शुरू होने से तीर्थयात्रियों को वैष्णो देवी तक पहुंच आसान हो गई. पिछले साल घाटी में नई रेल लाइनें और पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई। इसके अलावा इस साल जम्मू रेलवे डिवीजन का निर्माण पूरा हुआ। 111 किलोमीटर लंबा बनिहाल-कटरा खंड का काम पूरा होने जा रहा है।