Laal Qila Delhi: शाहजहां का लाल किला (Laal Qila) दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. इसे 2007 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था. रोज यहां लाल किले का दीदार करने हजारों पर्यटक आते रहते हैं. लेकिन अब यही लाल किला काला होता जा रहा है. यानि इसका रंग बदल रहा है. इसके पीछे की वजह भी सामने आई है. एक संयुक्त भारत-इटली अध्ययन में पाया गया है कि राजधानी दिल्ली के प्रदूषण से किले का रंग काला पड़ता जा रहा है।
स्टडी के मुताबिक, जहरीले प्रदूषक, स्मारक की (red sandstone) लाल बलुआ पत्थर की दीवारों पर “काली परतें” बना रहे हैं, जिससे इसकी सुंदरता और संरचना, दोनों को खतरा हो रहा है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि हवा में मौजूद प्रदूषकों से उत्पन्न रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण इस स्मारक का विशिष्ट लाल बलुआ पत्थर धीरे-धीरे काला पड़ रहा है।
जिप्सम, क्वार्ट्ज. सीसा, तांबा और जस्ता जैसी भारी धातुओं से युक्त प्रदूषण जमाव की परतें बन रही हैं
भारतीय और इतालवी शोधकर्ताओं के एक संयुक्त अध्ययन से पता चला है कि किले की सतह पर ‘काली परतें’ बन रही हैं. यानी जिप्सम, क्वार्ट्ज. सीसा, तांबा और जस्ता जैसी भारी धातुओं से युक्त प्रदूषण जमाव की परतें बन रही हैं. ये परतें न केवल दीवारों को काला कर रही हैं, बल्कि पत्थरों को भी घिस रही है. इससे स्मारक की दीर्घकालिक स्थिरता को खतरा है।
55 से 500 माइक्रोमीटर मोटी परतें बनीं
2021 और 2023 के बीच किया गया और जून 2025 में हेरिटेज जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन, लाल किले पर वायु प्रदूषण के रासायनिक प्रभाव का पहला विस्तृत परीक्षण है. वैज्ञानिकों ने स्मारक के विभिन्न हिस्सों से दीवारों के नमूने एकत्र किए और उनकी तुलना दिल्ली के वायु गुणवत्ता आंकड़ों से की. उनके निष्कर्षों से पता चला कि किले की लाल बलुआ पत्थर की सतह पर 55 से 500 माइक्रोमीटर मोटी परतें विकसित हो गई हैं. ये जिप्सम, बैसानाइट और वेडेलाइट से बनी हैं।
हालांकि, दिल्ली का लाल किला कभी सफेद रंग का होता था. जब शाहजहां ने 17वीं सदी में इसका निर्माण कराया था, उस समय यह किला सफेद रंग का था क्योंकि इसे मुख्य रूप से सफेद चूने (lime plaster) से बनाया गया था. लेकिन बाद में अंग्रेजों ने इसको लाल रंग से रंगवा दिया।
अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर भी खतरा
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो जल्द ही दिल्ली के अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर भी इसका असर दिखेगा. जैसे हुमायूं का मकबरा और सफदरजंग का मकबरा आदि।
वैज्ञानिकों ने दिया ये सुझाव
हालांकि, दिल्ली के समग्र वायु प्रदूषण को कम करना एक दीर्घकालिक चुनौती बनी हुई है. वैज्ञानिकों का सुझाव है कि समय रहते हस्तक्षेप करने से किले की संरचना और स्वरूप को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है. अध्ययन में कहा गया है- काली परत का बनना एक प्रगतिशील प्रक्रिया है जो एक पतली काली परत से शुरू होती है, जिसका अगर जल्दी उपचार किया जाए तो पत्थर को नुकसान पहुंचाए बिना उसे हटाया जा सकता है।
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शोधकर्ता किले के उच्च जोखिम वाले हिस्सों के लिए नियमित रखरखाव और सफाई कार्यक्रम शुरू करने और नई पपड़ी बनने से रोकने के लिए पत्थर-सुरक्षात्मक कोटिंग्स लगाने की सलाह देते हैं. उनका तर्क है कि ऐसे संरक्षण उपाय किले के क्षरण को धीमा कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसके विशिष्ट लाल रंग को संरक्षित कर सकते हैं।
इतिहास क्या है लाल किले का?
लाल क़िला (उर्दू: قلعۂ مبارک, क़िला-ए-मुबारक), दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक क़िला है। इसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने सन् 1638 में अपनी नई राजधानी शाहजहानाबाद के निर्माण के साथ बनवाना शुरू कराया।इसका निर्माण 1648 ईस्वी में पूरा हुआ। लाल क़िला अपनी वास्तुकला, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है।
किले में कौन सा पत्थर लगा है?
लाल किले में बलुआ पत्थर अपने सर्वोत्तम रूप में यह किला अब केवल मुगल काल के अंतिम चरण और देश में अंग्रेजों की घुसपैठ की याद दिलाता है, लेकिन इस जगह का महत्व आज भी वैसा ही है। मुगल बादशाह शाहजहाँ ने ग्यारह साल तक आगरा से शासन करने के बाद दिल्ली जाने का फैसला किया और 1618 में लाल किले की आधारशिला रखी।
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