नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) (SC) के उस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें गुजरात के जामनगर में स्थित वनतारा प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को क्लीन चिट दी गई है। उन्होंने इस मामले के इतनी जल्दी निपटारे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि काश, सभी मामलों को ‘सीलबंद कवर’ वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से निपटाया जाता।
त्वरित न्याय बनाम न्यायिक विलंब
जयराम रमेश(Jairam Ramesh)ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में भारतीय न्याय प्रणाली की गति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर अपनी देरी के लिए पहचानी जाने वाली न्याय प्रणाली, जब चाहे तो सबसे तेज गति से काम कर सकती है। उन्होंने इस मामले के समय-सारणी को रेखांकित किया: 7 अगस्त, 2025 को जनहित याचिका दायर(SC) हुई, 25 अगस्त को जांच का आदेश दिया गया, 12 सितंबर तक एसआईटी को रिपोर्ट देनी थी, और 15 सितंबर को मामला बंद कर दिया गया। यह दर्शाता है कि एक विशेष मामले में न्याय कितनी तेजी से मिला, जबकि कई अन्य मामले वर्षों तक लंबित रहते हैं।
‘सीलबंद कवर’ रिपोर्ट पर आपत्ति
जयराम रमेश का मुख्य विरोध ‘सीलबंद कवर’ में रिपोर्ट पेश करने की प्रक्रिया पर था। उनका मानना है कि इस तरह की प्रक्रिया पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यह ‘रहस्यमय’ तरीका है, जिससे मामलों का निपटारा किया जाता है। रमेश के अनुसार, अगर न्याय प्रक्रिया पारदर्शी हो तो लोगों का विश्वास बना रहता है। इस मामले(SC) में एसआईटी की रिपोर्ट की सामग्री सार्वजनिक नहीं की गई, जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई।
जयराम रमेश ने ‘वनतारा’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किस बात को लेकर कटाक्ष किया?
उन्होंने इस मामले के अत्यंत तेजी से निपटारे और एसआईटी की रिपोर्ट को ‘सीलबंद कवर’ में जमा करने की प्रक्रिया को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि काश, सभी मामले(SC) इतनी तेजी से और पारदर्शी तरीके से निपटाए जाते।
‘वनतारा’ क्या है और यह किस समूह से जुड़ा हुआ है?
‘वनतारा’ गुजरात के जामनगर में स्थित एक प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र है। यह रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित और संचालित है।
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