नई दिल्ली। आज देशभर में शारदीय नवरात्रि (Navratri) के पहले पावन पर्व पर मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा घोषित जीएसटी रेट कट लागू हो गए हैं। इसके बाद आज से साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, टूथब्रश, पैकेज्ड फूड, बिस्किट, कॉर्नफ्लेक्स, पनीर, दही, पराठा जैसे कई उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। पहले इन पर 18 प्रतिशत तक का टैक्स लगता था, लेकिन घटाकर अब 5 प्रतिशत या पूरी तरह से शून्य किया है। नतीजा यह है कि घरेलू बाजार में इन चीजों की कीमतों में औसतन 10 से 15 प्रतिशत तक कमी आई है।
वैश्विक तुलना का सवाल
आज हम आपकों आखिर किन देशों में जीएसटी कट के बाद भी रोजमर्रा का सामान सस्ता मिलता है। इसके बारे में बताते है। जीएसटी पर चर्चा जारी है, तब यह सवाल उठता है कि जीएसटी (GST) कटौती के बाद भी क्या भारत में रोजमर्रा का सामान दुनिया के अन्य देशों से महंगा है या सस्ता। इसका जवाब थोड़ा कठिन है, क्योंकि इसमें स्थानीय कर नीति, एक्सचेंज रेट, उत्पादन लागत और सब्सिडी जैसी बातें जुड़ी होती हैं।
भारत अब भी किफायती देशों में शामिल
फिर भी आंकड़े बताते हैं कि भारत अभी भी दुनिया के सबसे किफायती देशों में शामिल है। 2018 में आए अंतरराष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक भारत किराने के सामान, खाने-पीने की चीजों और किराए के मामले में सबसे सस्ते देशों की सूची में टॉप पर था। 2025 में भी यह स्थिति बहुत हद तक बनी हुई है।
किन देशों में मिलता है सस्ता सामान
इसके बावजूद कुछ देशों में चुनिंदा सामान भारत की तुलना में सस्ता मिलता है। जैसे कि दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे बांग्लादेश, नेपाल, वियतनाम और इंडोनेशिया में स्थानीय उत्पादन होने के कारण फल, सब्जियां और कुछ खाद्य पदार्थ भारत से कम दाम पर उपलब्ध हो सकते हैं। वहीं मध्य-पूर्व के देशों जैसे सऊदी अरब या यूएई में पेट्रोल और उससे जुड़े उत्पाद सब्सिडी के कारण भारत से सस्ते पड़ते हैं।
उपभोक्ताओं को सीधी राहत
भारत में जीएसटी कटौती के बाद अब उपभोक्ताओं को क्या लाभ होगा, इसे समझना जरूरी है। मसलन, अगर किसी ब्रांडेड शैम्पू की बोतल की कीमत 200 रुपये थी, जिस पर पहले 18 प्रतिशत जीएसटी जुड़ता था, तब उपभोक्ता को 236 रुपये देने पड़ते थे। अब यही बोतल 5 प्रतिशत टैक्स के बाद करीब 210 रुपये में मिल रही है। इसी तरह टूथपेस्ट, साबुन और पैकेज्ड स्नैक्स पर भी 20 से 25 रुपये तक की बचत संभव है। दूध और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों पर जीएसटी पूरी तरह हटा देने से इनकी कीमतें सीधे घट गई हैं, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों को सीधी राहत मिली है।
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