भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताने के बाद 14 जुलाई 2025 को पृथ्वी के लिए रवाना हो गए। वे Axiom-4 मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान ‘ग्रेस’ में सवार हैं, जिसमें उनके साथ अमेरिका की पेगी व्हिटसन, पोलैंड के सावोस्ज उजनान्स्की, और हंगरी के तिबोर कपू शामिल हैं। [wp]
यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि शुभांशु ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी।
हार्मनी मॉड्यूल से ड्रैगन यान को किया अनडॉक
शुभांशु और उनकी टीम ने 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे ISS के हार्मनी मॉड्यूल से ड्रैगन यान को अनडॉक किया। यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित थी और नासा के कवरेज में इसे लाइव दिखाया गया। लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद, यान 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3:00 बजे (IST) अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन करेगा।
लैंडिंग के दौरान पैराशूट दो चरणों में खुलेंगे—पहले 5.7 किमी ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट और फिर 2 किमी पर मुख्य पैराशूट। इसके बाद, स्पेसएक्स की रिकवरी टीम अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित निकालेगी।
प्रशांत नायर थे बैकअप क्रू मेंबर
ISS पर शुभांशु ने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें अंतरिक्ष में फसल उगाने, टार्डिग्रेड्स (जल भालू) पर शोध, और मानव शरीर पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का अध्ययन शामिल था। ये प्रयोग भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। Axiom-4 मिशन भारत और नासा के बीच सहयोग का हिस्सा है, जिसके तहत ISRO ने शुभांशु और प्रशांत नायर को प्रशिक्षित किया। प्रशांत बैकअप क्रू मेंबर थे।
सात दिन के पुनर्वास कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा
पृथ्वी पर लौटने के बाद, शुभांशु और उनके सहयोगी सात दिन के पुनर्वास कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढल सकें। इस मिशन ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी है। शुभांशु की उपलब्धि ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित किया, बल्कि युवाओं में अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति उत्साह भी जगाया। यह भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष लक्ष्यों, जैसे गगनयान मिशन, की दिशा में एक बड़ा कदम है।