नई दिल्ली। लद्दाख में हुई हिंसा के बाद एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक (Sonam Vangchuk) को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें लद्दाख से दूर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में शिफ्ट किया गया।
लद्दाख हिंसा का विवरण
लद्दाख में भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत और करीब 90 घायल हुए। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का आरोप है कि वांगचुक ने अपने भाषणों से भीड़ को उकसाया। हिंसा के बाद वांगचुक ने अपना दो सप्ताह लंबा अनशन खत्म किया और लेह में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया।
विशेष विमान और सुरक्षा काफिला
वांगचुक को देर रात जोधपुर भेजा गया। आवश्यक औपचारिकताओं के बाद उन्हें एक विशेष विमान से लेह से जोधपुर ले जाया गया। एयरपोर्ट से सुरक्षा काफिला (Security convoy) जेल तक पहुंचा, जिसमें वांगचुक मौजूद थे।
जोधपुर जेल में हाई सिक्यॉरिटी
जोधपुर जेल में वांगचुक की मेडिकल जांच की गई और उन्हें हाई सिक्यॉरिटी वार्ड में रखा गया। सीसीटीवी के माध्यम से उनकी 24 घंटे निगरानी की जाएगी।
गृह मंत्रालय का आरोप
गृह मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने भाषण में अरब स्प्रिंग और नेपाल जेन-जी विरोध प्रदर्शनों का हवाला देकर युवाओं में गुस्सा भड़का दिया। हिंसा के दौरान लेह में स्थानीय बीजेपी कार्यालय और कुछ सरकारी वाहनों को आग के हवाले किया गया।
आंदोलन और भूख हड़ताल
वांगचुक ने 10 सितंबर को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। उनका उद्देश्य संवैधानिक गारंटी, अधिक स्वायत्तता, राज्य का दर्जा और लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा हासिल करना था।
सोनम वांगचुक कौन हैं?
इसे सुनेंयह लेख एक इंजीनियर और आविष्कारक के बारे में है। इसी नाम के भारतीय सेना अधिकारी के लिए, सोनम वांगचुक देखें। सोनम वांगचुक (जन्म 1 सितंबर 1966) एक भारतीय इंजीनियर, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक हैं।
क्या सोनम वांगचुक इंडियन आर्मी में थी?
कर्नल सोनम वांगचुक, एमवीसी, भारतीय सेना के एक पूर्व सैनिक हैं, जिन्होंने असम रेजिमेंट और लद्दाख स्काउट्स के साथ सेवा की। कारगिल युद्ध में अपने सफल ऑपरेशन के दौरान, उन्हें दुश्मन के सामने वीरता के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
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