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Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?

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Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?

Spacecraft Speed ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे? ISS और धरती के बीच की दूरी मात्र 400 किलोमीटर

International Space Station (ISS) Spacecraft Speed धरती से केवल 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सामान्य समझ से देखा जाए तो यह दूरी एक तेज़ ट्रेन या हवाई जहाज से कुछ ही घंटों में पूरी की जा सकती है। लेकिन जब बात अंतरिक्ष की हो, तो समीकरण पूरी तरह बदल जाते हैं

Spacecraft की गति 7.8 किलोमीटर प्रति सेकंड फिर भी देरी क्यों?

एक अंतरिक्ष यान की औसतन स्पीड 7.8 km/s होती है।
इस स्पीड से देखा जाए तो ISS तक सिर्फ 10 मिनट में पहुंचा जा सकता है, लेकिन असलियत इससे काफी अलग है।
Shubhashu Shukla और उनकी टीम को ISS तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे लगने वाले हैं। इसका कारण है ऑर्बिटल मैकेनिक्स और सुरक्षा से जुड़ी प्रक्रियाएं।

Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?
Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?

ISS तक पहुंचने की प्रक्रिया कैसे काम करती है?

  • पहले रॉकेट पृथ्वी की सतह से ऊंचाई पकड़ता है
  • इसके बाद यान एक सटीक कक्षा (orbit) में प्रवेश करता है
  • फिर उस कक्षा से ISS की गति और स्थिति के साथ मेल बिठाने की प्रक्रिया शुरू होती है
  • यह पूरी प्रक्रिया एक साफ और स्थिर डॉकिंग के लिए ज़रूरी होती है

क्यों नहीं सीधे लाइन में जाता यान?

अंतरिक्ष में वस्तुएं सीधी रेखा में नहीं बल्कि कक्षा में गति करती हैं।
ISS भी 7.66 km/s की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है
यान को उसके साथ एकदम सटीक स्थिति में जाकर जुड़ना होता है, जिसमें समय लगता है।

Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?
Spacecraft Speed: ISS तक पहुंचने में क्यों लगते हैं 28 घंटे?

शुभांशु शुक्ला का मिशन क्यों है खास?

  • शुभांशु शुक्ला भारत के चुनिंदा अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं
  • उनका मिशन निजी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है
  • 28 घंटे की लंबी यात्रा उनके धैर्य और तकनीकी समझ की परीक्षा है

Spacecraft Speed चाहे जितनी तेज़ हो, अंतरिक्ष यात्रा में सिर्फ गति नहीं बल्कि सटीकता, सुरक्षा और समन्वय सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं।
Shubhashu Shukla की 28 घंटे की यह यात्रा सिर्फ दूरी की नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सूझ-बूझ और धैर्य की भी कहानी है।
ISS तक पहुंचना कोई सीधी उड़ान नहीं, बल्कि एक जटिल ऑर्बिटल डांस है जिसमें हर कदम सोच-समझकर उठाया जाता है।

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