नई दिल्ली,। बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव एक बार फिर जातीय समीकरण, गठबंधन और कल्याणकारी योजनाओं पर आधारित नजर आ रहे हैं। एक ताज़ा सर्वे से साफ हुआ है कि किसी बड़े बदलाव की बजाय पारंपरिक वोटिंग पैटर्न (Voting Pattern) ही इस बार भी जारी रह सकता है। हालांकि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) ने तीसरे मोर्चे के रूप में कुछ हद तक अनिश्चितता जरूर पैदा की है।
महागठबंधन बनाम एनडीए का सीधा मुकाबला
सर्वे से यह भी स्पष्ट हुआ है कि बिहार की राजनीति अब भी दो ध्रुवों — महागठबंधन और एनडीए के इर्द-गिर्द घूम रही है। पारंपरिक वोट बैंक अपनी जगह पर मजबूत बने हुए हैं और इनमें कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है।
मुस्लिम वोटर्स की अहम भूमिका
बिहार की करीब 17% मुस्लिम आबादी (Muslim Population) परंपरागत रूप से महागठबंधन के साथ रही है। 2020 में सीमांचल क्षेत्र में कुछ वोट एआईएमआईएम (ओवैशी की पार्टी) को चले गए थे, जिससे एमजीबी को नुकसान उठाना पड़ा।
2020 विधानसभा में मुस्लिम वोट शेयर 75% था, जो 2024 लोकसभा चुनाव में बढ़कर 83% हो गया। मुस्लिम समाज में यह संदेश गहरा है कि वोट बंटवारे का सीधा फायदा बीजेपी को मिलता है। हालांकि, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में बड़े मुस्लिम नेताओं की अनुपस्थिति से नाराजगी भी जताई जा रही है। मुस्लिम समुदाय टिकट बंटवारे में हिस्सेदारी और उपमुख्यमंत्री पद की मांग उठा रहा है।
दलित वोट बैंक की स्थिति
बिहार में दलित समुदाय की आबादी करीब 20% है। इसमें पासवान (5%) और मुसहर (3%) समुदाय एनडीए के साथ दिखते हैं, जबकि चमार (5%) परंपरागत रूप से महागठबंधन के करीब हैं।
एनडीए को इस वोट बैंक में बढ़त मिल सकती है, क्योंकि चिराग पासवान और जीतनराम मांझी जैसे नेता इन समुदायों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और ओबीसी का रुझान
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (26%) अब तक एनडीए के साथ खड़ा रहा है। सर्वे के अनुसार, यह रुझान इस बार भी बरकरार रह सकता है। वहीं, ओबीसी (25%) वोट बैंक बंटा हुआ है। यादव (11%) पूरी तरह से राजद और लालू परिवार के साथ हैं, जबकि गैर-यादव ओबीसी का बड़ा हिस्सा एनडीए की ओर झुकता दिख रहा है।
हालांकि, कुशवाहा समुदाय (करीब 7%) के महागठबंधन की ओर खिसकने की संभावना जताई गई है, जैसा हाल के लोकसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में देखा गया था।
सीटों का संभावित समीकरण
सर्वे के मुताबिक, महागठबंधन को मगध और भोजपुर क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है, जबकि पूर्णिया में बढ़त मिलने की संभावना है। 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 7 जोन में 52 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन ने 3 जोन में 37 सीटों पर बढ़त बनाई थी। अंतिम नतीजों में एनडीए को 125 सीटें और एमजीबी को 110 सीटें मिली थीं।
Read More :