लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने रखा प्रस्ताव
Odisha : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संसद में एक विशेष प्रस्ताव रखा है, जिसके अंतर्गत (Jagannath) भगवान जगन्नाथ के रथ का एक पवित्र पहिया संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। यह पहल भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और लोकतंत्र के संगम को दर्शाने के उद्देश्य से की जा रही है।
भगवान जगन्नाथ – विश्वनाथपुरी के देवता
भगवान जगन्नाथ, जो पुरी (Odisha) के प्रमुख देवता हैं, हर वर्ष आयोजित होने वाली रथ यात्रा में अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं। इन रथों के विशाल पहिए धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय माने जाते हैं।
रथ का पहिया जीवन चक्र, धर्म का मार्ग और मानवता की सेवा का प्रतीक है। इसे संसद भवन में स्थापित करना भारतीय लोकतंत्र में आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना की दिशा में एक अनूठा कदम माना जा रहा है।
भारतीय परंपरा और संसद का संगम
यह पहल भारत की विविधता में एकता, धार्मिक सहिष्णुता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। संसद, जहाँ देश के सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं, वहाँ इस प्रतीक की उपस्थिति लोकसभा को केवल एक राजनीतिक संस्था नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का केंद्र भी बनाएगी।
संसद परिसर में स्थापित किया जाएगा रथ का पहिया
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ आज श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु का आशीर्वाद लिया। हम माननीय अध्यक्ष के प्रति अत्यंत आभारी हैं कि उन्होंने रथ यात्रा के दौरान इस्तेमाल किए गए तीन रथों में से प्रत्येक रथ का एक पहिया संसद परिसर में एक प्रमुख स्थान पर स्थापित करने के हमारे प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की।’’ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पुरी से सांसद संबित पात्रा के साथ पहुंचे बिरला का शुक्रवार को लायन्स गेट पर एसजेटीए के मुख्य प्रशासक ने स्वागत किया।
क्या बोले अरबिंद पाधी
पाधी ने कहा कि नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ), दर्पदलन (देवी सुभद्रा) और भगवान बलभद्र (तालध्वज) के रथों के पहिए दिल्ली ले जाकर ओडिशा की कालातीत संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के स्थायी प्रतीक के रूप में स्थापित किए जाएंगे। वार्षिक रथ यात्रा के बाद, देवताओं के तीनों रथों को हर साल खंडित कर दिया जाता है। नंदीघोष रथ के मुख्य बढ़ई बिजय महापात्र के अनुसार, कुछ प्रमुख भागों को छोड़कर, हर साल रथों के निर्माण में नयी लकड़ी का उपयोग किया जाता है। खंडित रथ के हिस्सों को गोदाम में रखा जाता है, और उनमें से कुछ नीलाम कर दिए जाते हैं, जिनमें पहिये भी शामिल हैं।
भगवान जगन्नाथ का इतिहास क्या है?
Odisha : भगवान जगन्नाथ , महाप्रभु के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। जगन्नाथ शब्द दो संस्कृत शब्दों, जगत् अर्थात् “ब्रह्मांड” और नाथ अर्थात् “स्वामी” या “प्रभु” के संगम से बना है। इस प्रकार, जगन्नाथ का अर्थ है “ब्रह्मांड का स्वामी”। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की त्रिमूर्ति की पूजा की जाती है।
जगन्नाथ मंदिर का झंडा उल्टा क्यों लहराता है?
जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के विपरीत लहराता है, जो एक रहस्य बना हुआ है। इसे दैवीय शक्ति का संकेत माना जाता है और भक्तों के लिए यह विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है।
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