मिजोरम : पूर्वोत्तर (Northeast ) के राज्यों में एक मिजोरम के लोगों को आजादी के बाद पहली बार सीधी ट्रेन सेवा की सुविधा मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 सितंबर को बइरबी-सायरंग (Bairabi-Sairang) रेल परियोजना का उद्घाटन करने जा रहे है। यहां रेल सेवा शुरू होने से दूसरे राज्यों के लोगों को भी आवागम की सुविधा मिलेगी। काफी संख्या में मिजोरम में रहने वाले बिहार के मजदूरों को भी ट्रेन शुरू होने से बेहद खुशी है।
रेलवे ने आइजोल पहली बार रेलवे नेटवर्क से जोड़ कर इतिहास रचा
केंद्र की मोदी सरकार ने आजादी के बाद पहली बार मिज़ोरम, आइजोल को रेल नेटवर्क से सीधा जोड़ दिया है। भविष्य में भारतीय रेलवे म्यांमार बॉर्डर तक विस्तार कर सकता है। भारतीय रेलवेमें इसपूर्वोत्तर भारत का मिजोरम राज्य सीधी रेलवे सुविधा से अछूता था। कई वर्षों से रेल सुविधा की मांग की जा रही थी। भारतीय रेलवे ने पहाड़ी इलाके में रेल सेवा शुरू करने की चुनौती को स्वीकार करते हुए मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार रेलवे नेटवर्क से जोड़ कर इतिहास रच दिया। भारतीय रेल यही रुकने वाला नहीं है। अब यह रेल लाइन आगे बढ़कर म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की तैयारी है। जिसका सर्वे किया जा रहा है।
पीएम मोदी 13 सितंबर को करेंगे उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी सप्ताह में 8071 करोड़ रुपए की लागत से बनी 51.38 किलोमीटर लंबी बइरबी-सायरंग रेल परियोजना का 13 सितंबर को उद्घाटन कर सकते हैं। पीएम के कार्यक्रम को देखते हुए तेज़ गति से कार्य चल रहे हैं। यह मिजोरम के लिए ऐतिहासिक पल है और पूरे पूर्वोत्तर को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी से जोड़ने का मार्ग भी तैयार करेगा। इससे न केवल मिजोरम का देश से संपर्क अधिक मज़बूत होगा, बल्कि म्यांमार बॉर्डर तक रेल लाइन ले जाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। यह परियोजना 29 नवंबर 2014 को शुरू हुई थी। सिलचर (असम) से बाइरबी तक रेल सेवा पहले से मौजूद थी, लेकिन मिजोरम की राजधानी आइजोल तक पहुंचाने के लिए बाइरबी से सायरंग तक नई लाइन बिछाई गई। अंतिम सेक्शन हरतकी-सायरंग को 10 जून 2025 को पूरा किया गया।

कुतुब मीनार से 42 मीटर ज्यादा ऊंचा है ब्रिज नंबर-144
इस परियोजना की कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है। इसमें पांच स्टेशन बेड्ररबी, हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग और सायरंग होंगे। इसी क्रम में बड़े पुल 55 व छोटे पुल 87, सुरंगें 48, सुरंगों की लंबाई: 38 किलोमीटर से अधिक है। सबसे ऊंचा पुल ( ब्रिज नंबर-144 ) 114 मीटर ऊंचा है। इसे कुतुब मीनार से 42 मीटर ज्यादा ऊंचा बताया जा रहा है।

भारतीय रेलवे की कार्यशैली का अद्भुत नमूना : ए. श्रीधर
दक्षिण मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ए. श्रीधर ने “स्वतंत्र वार्ता” से विशेष बातचीत करते हुए बताया कि भारतीय रेलवे का चुनौतीपूर्ण कार्य है। भारतीय रेलवे की कार्यशैली का अद्भुत नमूना है। यह रेल लाइन मिजोरम के विकास में अहम भूमिका निभाएगी। अब मिजोरम के लोगों को सीधी रेल सेवा का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि यह पूरी रेल लाइन दुर्गम पहाड़ियों, घाटियों व घने जंगलों से गुजरती है। सीमांत रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी नीलांचल देव ने बताया कि यह परियोजना बेहद दुर्गम पहाड़ी इलाकों से गुजरती है। यहां तक सामान पहुंचाने के लिए दो सौ किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क अलग से बनाना पड़ा।
11 साल की मेहनत के बाद यह सपना साकार हुआ : नीलांचल देव
नीलांचल देव ने बताया कि लगातार 11 साल की मेहनत के बाद यह सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा कि मिजोरम से सीधा रेल सेवा नहीं होने के कारण यह के लोगों को बहुत परेशानी होती थी। काफी पैसा खर्च करके गुवाहाटी जाना पड़ता था। फिर वहां से ट्रेन के माध्यम से दूसरे जगहों पर जाना पड़ता था। अब तो मिजोरम के लोगों को सीधी रेल सेवा का लाभ मिलेगा। यहां से दिल्ली , कोलकाता और गुवाहाटी के लिए ट्रेन चलेगी । उन्होंने बताया कि अब तक सिलचर जाने में सड़क से 7 घंटे लगते थे, वहीं रेल से यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में तय होगी। गुवाहाटी 12 घंटे और दिल्ली करीब 48 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। बरसात के दिनों में भूस्खलन से बंद होने वाले रास्तों की तुलना में अब यात्रा कहीं ज्यादा सुरक्षित और आसान होगी।

इस परियोजना को और आगे बढ़ाकर म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की तैयारी
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारियों की मानें तो बैरबी-सायरंग लाइन सिर्फ मिजोरम तक सीमित नहीं रहेगी। रेलवे इस परियोजना को और आगे बढ़ाकर म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की योजना पर काम कर रहा है। बहुत जल्द सर्वे पूरा कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी जाएगी। बताया जा रहा है कि अभी शुरुआत में 2 से 3 ट्रेनें चलाने की योजना है। इसमें गुवाहाटी और दिल्ली तक की ट्रेनें प्राथमिकता पर हैं। यहां करीब तीस साल रह रहे बिहार के वैशाली, मधुबनी आदि के हजारों मजदूरों को आवागमन में सुविधा मिलेगी। बिहार के मजदूर नजीर, उस्मान, रामफेर बताते है कि यह बहुत अच्छा काम हुआ है इसके लिए मोदी सरकार की जितनी सराहना की जाए कम है।
मिजोरम में ट्रेन है क्या?
यहां Bairabi (बइरबी) रेलवे स्टेशन पहले से था, जो असम की सीमा के पास है। लेकिन अब बइरबी से सायरंग (Sairang) तक 51 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन पूरी हो गई है, जिसका उद्घाटन 13 सितंबर 2025 को हो रहा है। इससे आइज़ोल, मिजोरम की राजधानी, रेलवे नेटवर्क से सीधे जुड़ जाएगी।
मिजोरम का दूसरा नाम क्या है?
मिजोरम का कोई आधिकारिक “दूसरा नाम” नहीं है,
किस राज्य में कोई ट्रेन लाइन नहीं है?
सिक्किम (Sikkim)
भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ अभी तक कोई संचालित रेलवे लाइन नहीं है।
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