दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश
- दिल्ली हाई कोर्ट ने खसरा नंबर 279 के दो याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत देते हुए, उनकी याचिका पर कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई सामान्य सुरक्षा आदेश पारित करना भविष्य में अन्य याचिकाकर्ताओं के लिए कानूनी उपायों को प्रभावित कर सकता है। अतः याचिका को वापस लेने की अनुमति दी गई। याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह का समय दिया गया है ताकि वे उचित मंच पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकें।
खसरा नंबर 279 का विवादित क्षेत्र
खसरा नंबर 279, ओखला गांव में स्थित है, जो बटला हाउस क्षेत्र का हिस्सा है। यह क्षेत्र धार्मिक स्थलों जैसे ख्वाजा खिज्र बाबा की दरगाह और खलीलुल्लाह मस्जिद के पास स्थित है। यहां रहने वाले कई लोग अपने घरों के वैध मालिक होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्हें बिना उचित नोटिस के हटाने की धमकियां मिल रही हैं। कुछ निवासियों ने दावा किया है कि उनकी संपत्तियां पीएम-उदय योजना के तहत नियमितीकरण के योग्य हैं, जबकि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने इस दावे को खारिज किया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
7 मई 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने DDA और दिल्ली सरकार को खसरा नंबर 279 में चार बीघा से अधिक सार्वजनिक भूमि पर अवैध संरचनाओं को तीन महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी निष्कासन कार्रवाई से पहले संबंधित व्यक्तियों को 15 दिन का पूर्व सूचना देना अनिवार्य है। हालांकि, इस आदेश के बावजूद, कई निवासियों को बिना नोटिस के निष्कासन की धमकियां मिल रही हैं।
निवासियों की चिंताएं और कानूनी उपाय
- निवासी यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें बिना उचित नोटिस के हटाने की धमकियां मिल रही हैं, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कुछ निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि उनके घरों को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के हटाया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल राहत देने से इनकार किया और मामले की अगली सुनवाई जुलाई में निर्धारित की है।
- अब अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेते हैं या नहीं. अगर ऐसा होता है, तो दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी. कुल मिलाकर बटला हाउस निवासियों को दिल्ली हाई कोर्ट से आंशिक राहत तो मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापसी की प्रक्रिया को पूरा करना अब उनके लिए अनिवार्य होगा।
DDA ने दिया था यह तर्क
- DDA द्वारा बटला हाउस डिमोलिशन नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील फहद खान के मुताबिक कोर्ट में DDA का मुख्य तर्क यह था कि याचिकाकर्ता पहले ही सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं. इसलिए, कोई स्टे और राहत नहीं दी जा सकती, लेकिन याचिकाकर्ता को कोर्ट ने एक शर्त पर स्टे मिला कि सुप्रीम कोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस ले लेंगे।