उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। यह आदेश सेवारत शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को अनिवार्य बनाता है। सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि इस आदेश के खिलाफ रिवीजन याचिका दाखिल की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, राज्य में पहले से कार्यरत शिक्षक भी बिना TET पास किए अब मान्य नहीं होंगे। इसका सीधा असर लाखों शिक्षकों पर पड़ सकता है, जिन्होंने वर्षों से शिक्षा व्यवस्था में अहम योगदान दिया है। इन शिक्षकों को अचानक TET की बाध्यता के कारण असुरक्षा महसूस हो रही है।
योगी सरकार का रुख
सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा है कि राज्य के शिक्षक अनुभवी हैं और वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। समय-समय पर उन्हें ट्रेनिंग और कार्यशालाओं के जरिए नई शिक्षण पद्धतियों से अपडेट भी किया गया है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवाओं को दरकिनार करना उचित नहीं होगा।
योगी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मौजूदा शिक्षकों के अनुभव को नजरअंदाज करना उनके साथ अन्याय है। सरकार का मानना है कि नए उम्मीदवारों के लिए TET जरूरी हो सकता है, लेकिन पहले से काम कर रहे शिक्षकों पर इसे लागू करना उचित नहीं है।
शिक्षकों के लिए राहत की उम्मीद
अगर सरकार की यह रिवीजन याचिका सफल होती है, तो राज्य के वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। वे बिना TET पास किए अपनी सेवा जारी रख सकेंगे। हालांकि नए उम्मीदवारों के लिए TET की अनिवार्यता बनी रहेगी।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
यह फैसला केवल शिक्षा जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक महत्व भी है। राज्य के लाखों शिक्षक और उनके परिवार इस फैसले से सीधे प्रभावित होते हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम न सिर्फ शिक्षकों को राहत देने वाला है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है।
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