उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 2020 में सामने आए अनामिका शुक्ला (Anamika shukla) शिक्षक भर्ती घोटाले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस मामले में एक ही नाम और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर 25 विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी।
इन फर्जी शिक्षकों ने कई सालों तक सरकारी वेतन हासिल किया, जिससे शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही का बड़ा खुल Aging हुआ। गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) समेत छह अधिकारियों पर इस घोटाले में मिलीभगत और सत्यापन में लापरवाही के आरोप में FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
घटना का पृष्ठभूमि:
- – यह घोटाला तब उजागर हुआ जब 2019-20 में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक ही नाम “अनामिका शुक्ला” के दस्तावेजों से कई शिक्षकों की नियुक्ति का पता चला। जांच में सामने आया कि एक महिला ने फर्जी दस्तावेज बनवाए थे, जिसके आधार पर कई लोगों ने नौकरी हासिल की।
- – गोंडा, बस्ती, आजमगढ़ और अन्य जिलों में यह फर्जीवाड़ा हुआ। गोंडा में ही 13 स्कूलों में फर्जी नियुक्तियां पाई गईं।
- – इस मामले में कुल 25 फर्जी शिक्षकों की पहचान हुई, जिनमें से कुछ ने इस्तीफा दे दिया, जबकि कुछ को बर्खास्त किया गया।
जांच और कार्रवाई:
- – उत्तर प्रदेश विशेष जांच दल (SIT) ने इस मामले की जांच की, जिसमें BSA और अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
- – अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही बरती और फर्जी दस्तावेजों को नजरअंदाज किया, जिससे यह घोटाला संभव हुआ।
- – FIR में BSA, जिला समन्वयक, और अन्य संबंधित अधिकारियों के नाम शामिल हैं। पुलिस ने कहा कि जांच में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप शामिल हो सकते हैं।
- – सरकार ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन और कड़े दस्तावेज जांच के निर्देश दिए हैं।
इस घोटाले ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय लोगों और अभिभावकों में गुस्सा है, क्योंकि फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति से बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ा। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों में भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा का आदेश दिया है।
ये भी पढ़े