शहीदों को मान्यता और मुआवजे की घोषणा
काठमांडू: नेपाल(Nepal) की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की(Sushila Karki) ने पदभार संभालने के बाद हिंसा में मारे गए लोगों को शहीद घोषित करने और उनके परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपये देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और छह महीने के भीतर चुनाव कराकर सत्ता छोड़ देंगी। हाल की हिंसा में 51 लोगों की जान गई थी, जिनमें एक भारतीय(Indian) महिला भी शामिल थीं।
हिंसा के बाद हालात और नेताओं की स्थिति
Gen-Z आंदोलन ने नेपाल(Nepal) की राजनीति को हिला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने 9 सितंबर को तीन पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल प्रचंड के घरों को आग के हवाले कर दिया। फिलहाल ये नेता आर्मी कैंपों में रह रहे हैं और उनके समर्थक सुरक्षित मकानों की तलाश में जुटे हैं। माना जा रहा है कि वे फिलहाल काठमांडू से दूर पोखरा जैसे शहरों में कुछ समय बिताना चाहते हैं।
इसी बीच सुशीला कार्की मंत्रिमंडल गठन में व्यस्त हैं। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, 15 से अधिक मंत्रियों की सूची पर चर्चा चल रही है। इसमें ऊर्जा विशेषज्ञ कुलमान घीसिंग, कानूनी विशेषज्ञ ओम प्रकाश आर्यल और पूर्व न्यायाधीश आनंद मोहन भट्टराई जैसे नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर भी विचार हो रहा है।
Gen-Z की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
Gen-Z नेताओं ने साफ किया है कि वे सरकार का हिस्सा नहीं बनेंगे लेकिन उसकी गतिविधियों की निगरानी करेंगे। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग कर दी है, जिससे UML पार्टी ने विरोध दर्ज कराया है। UML महासचिव शंकर पोखरेल ने कार्यकर्ताओं से सड़कों पर उतरने की अपील की है।
इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नेपाल(Nepal) की स्थिति पर प्रतिक्रियाएं आई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्की की नियुक्ति को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया और कहा कि भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा है। चीन और बांग्लादेश ने भी बधाई संदेश भेजते हुए शांति और स्थिरता की उम्मीद जताई है।
सुशीला कार्की ने शहीदों को लेकर क्या घोषणा की?
उन्होंने कहा कि हिंसा में मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा और उनके परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने छह महीने में चुनाव कराने और सत्ता छोड़ने का वादा किया।
नेपाल की मौजूदा स्थिति में Gen-Z आंदोलन की क्या भूमिका है?
Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के घर जलाए और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाई। हालांकि, उन्होंने नई सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया है और अब केवल उसकी गतिविधियों की निगरानी पर जोर दे रहे हैं।
अन्य पढ़े: