सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने कहा कि अगर ड्राइवर की मौत तेज रफ्तार (high speed) या लापरवाही से हुई है, तो बीमा कंपनी मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं होगी।
यह फैसला बीमा पॉलिसी के शर्तों को देखते हुए लिया गया है।
बीमा कंपनियों को राहत
अब नियमों की अनदेखी करने पर नहीं मिलेगा लाभ
- ड्राइवर की लापरवाही बीमा दावे को निरस्त कर सकती है।
- यह निर्णय बीमा कंपनियों को अनावश्यक दावों से बचाएगा।
सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि अगर तेज रफ्तार से वाहन चलाने या अपनी लापरवाही से ड्राइवर की मौत हो जाती है, तो ऐसे केस में मौत के बाद मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनियां बाध्य नहीं होंगी. यह फैसला सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों को सबक सिखाने के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई ड्राइवर अपनी लापरवाही या तेज रफ्तार की वजह से स्टंट करते हुए या गलत तरीके से गाड़ी चलाते हुए मर जाता है, तो उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए बीमा कंपनियां बाध्य नहीं होंगी।
यह फैसला रफ्तार के शौकीनों और स्टंट करके लोगों का ध्यान खींचने वालों के लिए सख्त संदेश माना जा रहा है. जस्टिस पी.एस.नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने एक मामले में मृतक की पत्नी, बेटे और माता-पिता की मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया. पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में मुआवजे की मांगे खारिज की हैं।
किस मामले में सुनाया फैसला
कोर्ट ने यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति से जुड़े मामले में दिया, जो तेज रफ्तार और लापरवाही से कार चलाते हुए हादसे का शिकार हो गया था. यह हादसा 18 जून 2014 को हुआ था, जब एन.एस. रविश अपनी फिएट लिनिया कार से कर्नाटक में स्थित मल्लासांद्रा गांव से अरसीकेरे शहर जा रहे थे. उनके साथ उनके पिता, बहन और बहन के बच्चे सवार थे।
रविश ने तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाई और ट्रैफिक नियम तोड़े. मायलानहल्ली गेट के पास उन्होंने गाड़ी पर नियंत्रण खो दिया, जिससे कार पलट गई. इस हादसे में रविश बुरी तरह चोटिल हो गए और उनकी मौत हो गई।
कोर्ट ने क्या कहा?
रविश के परिवार ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 80 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी. परिवार का दावा था कि बतौर ठेकेदार रविश हर महीने 3 लाख रुपये कमाते थे. लेकिन पुलिस की चार्जशीट में साफ कहा गया कि हादसा रविश की लापरवाही और तेज रफ्तार के कारण हुआ. मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल ने परिवार की मांग को खारिज कर दिया था. कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी 23 नवंबर 2024 को परिवार की अपील को ठुकराते हुए कहा कि जब हादसा मृतक की अपनी गलती से होता है, तो परिवार बीमा मुआवजा नहीं मांग सकता।
SC ने खारिज की याचिका
हाई कोर्ट ने कहा कि परिवार को यह साबित करना होगा कि हादसा मृतक की गलती से नहीं हुआ और वो बीमा पॉलिसी के दायरे में था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सही ठहराया और परिवार की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने साफ किया कि अगर मौत ड्राइवर की अपनी गलती से हुई हो और इसमें कोई बाहरी कारण शामिल न हो, तो बीमा कंपनी मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है. यह फैसला सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों को सबक सिखाने के लिहाज से अहम माना जा रहा है।