प्रतापगढ़ के कौशलेंद्र और उनकी पत्नी अंकिता हनीमून पर सिक्किम गए थे. 29 मई को गंगटोक लौटते समय उनकी गाड़ी तीस्ता नदी में गिर गई. 13 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं मिला. परिवार पूजा-पाठ में जुटा है, प्रशासन तलाशी अभियान चला रहा है.
हाल ही में इंदौर और यूपी के प्रतापगढ़ से दो नवविवाहित जोड़े नॉर्थ ईस्ट के हसीन वादियों में हनीमून मनाने पहुंचे थे, लेकिन उनके साथ जो हुआ वह किसी भयावह सपने से कम नहीं. एक तरफ मेघालय में राजा रघुवंशी हत्याकांड ने देश को चौंका दिया, तो दूसरी ओर प्रतापगढ़ के कौशलेंद्र सिंह और उनकी पत्नी अंकिता 29 मई को सिक्किम में एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए. दोनों अब तक लापता हैं.
1000 फीट गहराई में समा गई गाड़ी
उदयपुर के राहाटीकर निवासी और भाजपा नेता उम्मेद सिंह के भतीजे कौशलेंद्र सिंह 24 मई को पत्नी अंकिता के साथ हनीमून के लिए सिक्किम पहुंचे थे. 29 मई को गंगटोक से लौटते समय उनका वाहन मुंशीथांग के पास करीब 1000 फीट गहरी खाई में तीस्ता नदी में जा गिरा. गाड़ी में कई सैलानी सवार थे, जिनमें आठ अब तक लापता हैं. कौशलेंद्र और अंकिता का भी कोई पता नहीं चल सका है.
टूट चुके हैं परिजन, पिता की आंखों में आंसू थमे नहीं
कौशलेंद्र के पिता शेर बहादुर सिंह बेटे-बहू की तलाश में सिक्किम में डटे रहे. खराब मौसम के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में कई बार रुकावटें आईं. लेकिन अब अफसरों के आश्वासन पर वे 10 जून को घर लौट आए. आंखों में आंसुओं का सैलाब और दिल में बेटे की सलामती की उम्मीद लिए वे अपने गांव पहुंचे. गांव के लोग और रिश्तेदार लगातार उनका हालचाल जानने आ रहे हैं.
नदी ने अब तक कोई सुराग नहीं दिया
अब तक सिर्फ वाहन का एक पहिया, साइलेंसर और कुछ कपड़े ही मिले हैं. तीस्ता नदी के भयानक बहाव और हजारों फीट नीचे चट्टानों व मलबे के बीच राहत टीमें लगातार सर्च अभियान चला रही हैं. घटनास्थल से आठ किमी दूर तक एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें जुटी हैं, लेकिन अब तक कौशलेंद्र और अंकिता से जुड़ा कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है.
‘ईश्वर ही अब आस है’: घर में चल रहा महामृत्युंजय जाप
कौशलेंद्र के बड़े पिता उम्मेद सिंह ने बताया कि अब पूरा परिवार भगवान की शरण में है. उनके घर में ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप 24 घंटे चला. बुधवार से राहाटीकर स्थित मां दुर्गेश्वरी धाम में 51 हजार महामृत्युंजय मंत्रों का जाप पांच दिनों तक चलेगा. हर कोई बच्चों की सलामती की दुआ कर रहा है.
अफसरों से संपर्क में हैं परिजन
शेर बहादुर सिंह ने बताया कि वे सिक्किम के डीजीपी से दो बार मिल चुके हैं और हर दिन राहत कार्य की जानकारी ली जा रही है. अब पूरा परिवार इस आस में है कि ईश्वर कोई चमत्कार करे और उनके लाड़ले बेटे-बहू सकुशल घर लौटें.
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