National: सिंधु का पानी अब राजस्थान लाने की तैयारी, बनेगी 200 किमी नहर

By Anuj Kumar | Updated: June 9, 2025 • 12:04 PM

भारत ने आतंक से स्थाई तौर पर मुक्ति के लिए पाकिस्तान पर जल प्रहार की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

भारत ने आतंक से स्थाई तौर पर मुक्ति के लिए पाकिस्तान पर जल प्रहार की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। सिंधु जल समझौता निलंबित करने के बाद पश्चिमी नदियों (झेलम-चिनाब-सिंधु) से पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोककर सिंधु चिनाब का पानी राजस्थान तक लाने के लिए तेजी से काम शुरू हो गया है। जलशक्ति मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार ने चिनाब, रावी, व्यास और सतलज लिंक नहर परियोजना के निर्माण के लिए पूर्व संभाव्यता (प्री-फिजिबिलिटी) अध्ययन शुरू कर दिया है।

सरकार की योजना है कि चिनाब, का पानी चिनाब रावी व्यास सतलज लिक नहर बनाकर पंजाब के हरिके बैराज तक पानी लाया जाए और उससे आगे मौजूदा सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा। प्रारंभिक आंकलन के अनुसार 200 किलोमीटर नहर और 12 सुरंगें बनाकर पश्चिमी नदियों के पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार ने सिंधु नदी बेसिन से जुड़े सभी प्रोजेक्ट को तेजी से मंजूरी देने का फैसला किया है। जल्द से जल्द पर्यावरण मंजूरी देने की बात कही गई है। सिंगल विंडो सिस्टम पर काम हो रहा है। सिंधु नदी बेसिन से जुड़े एक-एक प्रोजेक्ट पर भारत आगे बढ़ेगा और पाकिस्तान की हलक सूखते चले जाएंगे।

यमुना का पोषण, इंदिरा नहर में ज्यादा पानी

नई योजना में पश्चिमी नदियों के पानी को पंजाब, हरियाणा होते हुए राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर तक पहुंचाया जाएगा। बताया जाता है कि विस्तारित योजना में अतिरिक्त पानी को नहरों के जरिए यमुना नदी से भी मिलाने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके शुरुआती चरण में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की नहरों की क्षमता बढ़ाने, गाद निकालने और लीकेज रोकने का काम किया जा रहा है।

नहरी संरचनाओं का आकलन शुरू

जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जम्मू, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मौजूदा नहर संरचनाओं का आकलन करना शुरू कर दिया है। इस अध्ययन में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि हमें यह मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि क्या इन नहरों के माध्यम से चिनाब से मोड़ा गया पानी उचित स्थिति में पहुंचाया जा सकता है। इसके साथ ही नहर प्रणाली के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक राशि का भी निर्धारण करना है।

इन राज्यों को मिलेगा लाभ

जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश।

ये भी विशेष

-झेलम नदी पर उरी बांध, चिनाब नदी पर दुलहस्ती, सलाल और बगलीहार बांध और सिंधु नदी पर नीमू बाजगो और चुटक बांधों से गाद निकालने, क्षमता बढ़ाने की योजना।
-किशनगंगा, रतले, पाकल दुल और तुलबुल परियोजनाओं पर तेजी से काम होगा।

तीन साल में पूरी होगी योजना

इस योजना को पूरा होने में तीन साल का समय लगने की संभावना है। वहीं सरकार इस काम जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों से कहा गया है कि इस पूरी योजना को दो से ढाई साल में पूरा किया जाएगा। हालांकि डीपीआर के साथ ही यह पूरी योजना सामने आएगी।

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