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Vaishno Devi Yatra : भक्तों के लिए अब यात्रा और भी आसान

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Vaishno Devi Yatra : भक्तों के लिए अब यात्रा और भी आसान
  • वैष्णो देवी की यात्रा करने वालों के लिए अच्छी खबर।
  • अब पुराने पारंपरिक मार्ग के साथ-साथ एक नया मार्ग भी उपलब्ध है, जिससे यात्रा और सुविधाजनक हो गई है।

Vaishno Devi : माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) के दर्शन हर साल लाखों भक्त करते हैं। समय के साथ-साथ माता वैष्णो मंदिर का रास्ता सुगम और सरल हो रहा है। हालांकि प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में वैष्णो देवी मार्ग अक्सर आ जाता है। ऐसी ही एक दुर्घटना 26 अगस्त को भी हुई जब माता वैष्णो देवी मार्ग पर भीषण भूस्खलन हुआ और जानमाल का नुकसान भी हुआ, बताया जा रहा है कि यह दुर्घटना पुराने मार्ग पर हुई है। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि वैष्णो देवी के नए मार्ग और पुराने मार्ग में क्या अंतर है। 

वैष्णो देवी मंदिर जाने का पुराना रास्ता

Vaishno Devi : वैष्णो देवी के पुराने रास्ते की शुरुआत कटरा में बाणगंगा (Banganga in Katra)से होती है। इस मार्ग में चरण पादुका के बाद अर्धकुंवारी पहुंचते हैं। यह वैष्णो देवी तक पहुंचने का मूल मार्ग है। इस मार्ग में चलते हुए तीर्थयात्रियों को हाथीमाथा जैसी कठिन चढ़ाई भी करनी पड़ती है। हालांकि इस रास्ते में अब कुछ वैकल्पिक मार्ग भी बनाए गए हैं जो यात्रा को पहले के मुकाबले थोड़ा आसान कर देते हैं। हालांकि तब भी यह रास्ता नए रास्ते से अधिक कठिन है। अर्धकुंवारी के बाद सांझी छत होते हुए भक्त वैष्णो देवी के दरबार पहुंचते हैं। इस मार्ग पर घोड़े, खच्चर तीर्थयात्रियों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं।  

देवी मंदिर जानें का नया रास्ता

वैष्णो देवी के मंदिर जाने का नया मार्ग भी शुरू कटरा से ही होता है। बाणगंगा होते हुए भक्त तारकोट मार्ग के रास्ते अर्धकुंवारी पहुंचते हैं। यानि नए और पुराने दोनों ही मार्गों से अर्धकुंवारी पहुंचा जाता है। अर्धकुंवारी के बाद हिमकोटी होते हुए भक्त वैष्णो देवी माता के भवन पहुंचते हैं, इसके बाद अंत में भैरव घाटी भक्त जाते हैं। यह मार्ग पुराने मार्ग से काफी सुगम है। इस मार्ग पर यात्रियों को बैटरी रिक्शा की सुविधा भी मिलती है। यह मार्ग पुराने मार्ग की तुलना में चौड़ा और कम चढ़ाई वाला है। आपका बता दें कि पुराने मार्ग से नया रास्ता 500 मीटर यानि आधा किलोमीटर कम है। 

वैष्णो देवी का इतिहास क्या है?

महाभागवत उपपुराण (23.44b-45) के अनुसार, उनका उल्लेख “विष्णुप्रिया” के रूप में किया गया है। वराह महापुराण के त्रिशक्ति महात्म्य में, वह देवी त्रिकला (त्रिमूर्तियों से उत्पन्न देवी) के लक्ष्मी भाग (भाग) से उत्पन्न हुईं और शतशृंग पर्वत पर महिषासुर नामक असुर का वध किया, जहाँ वैष्णोदेवी का वर्तमान त्रिकूट धाम स्थित है।

क्या वैष्णो देवी एक शक्तिपीठ है?

विश्व प्रसिद्ध एवं पौराणिक कालीन वैष्णो देवी मंदिर जो त्रिकूट पर्वत पर कटरा में स्थित है,यह मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित 108 शक्तिपीठों में से एक है,जिन्हें वैष्णो देवी के रूप में पूजा जाता है। यह भारत के सबसे अधिक पूंजनीय तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन माँ के दर्शन के लिए आते हैं।

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