Obulapuram Mining Scam: ओबुलापुरम खनन घोटाला भारत के सबसे बड़े अवैध खनन मामलों में से एक है। इस केस में मुख्य अपराधी गली जनार्दन रेड्डी, बीवी श्रीनिवास रेड्डी, मेफाज अली खान और वीडी राजगोपाल हैं।
इन पर आरोप है कि इन्होंने ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (OMC) के ज़रिए अनाधिकृत इलाकों में खनन कर सरकार को भारी नुकसान पहुँचाया।
हाईकोर्ट में सुनवाई से तीन जजों का हटना – अभूतपूर्व घटना
तेलंगाना हाईकोर्ट के इतिहास में यह पहली बार है जब एक ही दिन में एक ही केस से तीन अलग-अलग न्यायाधीशों ने खुद को अलग कर लिया।
- पहले न्यायमूर्ति नंदीकोंडा नरसिंह राव ने सुनवाई से इनकार किया।
- फिर यह मामला न्यायमूर्ति के. शरथ की पीठ में गया, लेकिन उन्होंने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
- शाम को न्यायमूर्ति नागेश भीमापाका ने भी मामले की गंभीरता और संबंधित जटिलताओं का हवाला देकर खुद को इससे अलग कर लिया।

दोषियों की अपील और दलील
Obulapuram Mining Scam: दोषियों ने सीबीआई न्यायालय द्वारा दी गई 7 साल की सजा को निलंबित करने और जमानत देने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं।
वरिष्ठ वकीलों ने दलील दी कि जिन अपराधीयों को पहले भी जमानत दी जा चुकी है और जिन्होंने आधी सजा काट ली है, उन्हें फिर से जमानत मिलनी चाहिए।
जजों के हटने का कारण?
कानूनी हलकों में यह चर्चा है कि मामले से जुड़े अपराधी, विशेषकर गली जनार्दन रेड्डी, पहले राजनीति और प्रशासन में मजबूत प्रभाव रखते थे। इसी कारणवश कई न्यायाधीशों ने व्यक्तिगत या संवेदनशील कारणों से खुद को केस से अलग कर लिया।
अगली सुनवाई अब अगले सप्ताह
चूंकि एक भी न्यायाधीश सुनवाई के लिए उपलब्ध नहीं हुआ, इसलिए अब गली जनार्दन रेड्डी और अन्य दोषियों को अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए और एक सप्ताह प्रतीक्षा करना होगा।