Pakistan Defence Budget 2025: पाकिस्तान ने साल 2025 के लिए अपने रक्षा बजट में 18% की भारी वृद्धि करते हुए इसे 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर दिया है।
यह निर्णय उस वक्त आया है जब देश आर्थिक संकट से बुरी तरह जूझ रहा है, महंगाई दर 38% से ऊपर है और विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से घट रहा है।
हिन्दुस्तान के साथ हालिया तनाव, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आक्रमण के बाद पाकिस्तान ने सेना पर अधिक ध्यान देना आरंभ कर दिया है। इस निर्णय ने पाकिस्तान की वित्तीय प्राथमिकताओं पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
GDP का बड़ा हिस्सा रक्षा पर, शिक्षा और स्वास्थ्य को किया नजरअंदाज
Pakistan Defence Budget 2025: पाकिस्तान ने अपने GDP का लगभग 2.3% भाग रक्षा पर खर्च करने का फैसल लिया है, जबकि शिक्षा पर केवल 2% और स्वास्थ्य सेवाओं पर 1.3% ही आवंटित किया गया है। यह अंतर दर्शाता है कि आम नागरिकों की आवश्यकताएँ इस बजट में पीछे छूट गई हैं।

आर्थिक विशेषज्ञों की राय: यह नीतिगत असंतुलन है
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का बजट आर्थिक सुधारों की दिशा से भटका हुआ है। IMF और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां पहले ही पाकिस्तान को चेतावनी दे चुकी हैं कि अगर सामाजिक खर्च कम हुआ तो देश की अवस्था और बिगड़ सकती है।
‘मिलबस’ और सेना का वाणिज्यिक साम्राज्य
पाकिस्तान की सेना केवल रक्षा तक सीमित नहीं है। वह रियल एस्टेट, बैंकिंग, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, शिपिंग और यहां तक कि मीडिया जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय है।
इस पूरे नेटवर्क को “मिलबस” (Military Business) कहा जाता है, जो फौजी फाउंडेशन, बहरिया फाउंडेशन और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी जैसे संस्थानों के माध्यम से संचालित होता है।
कुछ आंकड़े बताते हैं कि सेना देश की लगभग 12% भूमि पर नियंत्रण रखती है और इन संस्थानों को कर में छूट और कम छानबीन का लाभ मिलता है।
आने वाला समय: क्या पाकिस्तान संभाल पाएगा खुद को?
IMF से मिले 7 अरब डॉलर के बेलआउट की शर्तें भी कड़ी हैं। पाकिस्तान का लोन-टू-GDP रेशियो 73.6% है और देश पर 25 अरब डॉलर का व्यापार घाटा मंडरा रहा है। ऐसे में बढ़ा हुआ रक्षा खर्च सवालों के घेरे में है।