13 सितंबर 2025 को नेपाल (Nepal) की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया, जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। जेन-जी (Gen-Z) प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद यह नियुक्ति हुई, जिसमें भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता के खिलाफ 51 मौतें और 1300 से ज्यादा घायल हुए। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शपथ दिलाई, और कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया। इस अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत बधाई संदेश भेजा, जो भारत-नेपाल संबंधों की मजबूती को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया: “नेपाल के अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक बधाई। भारत नेपाल के भाइयों-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।” यह संदेश नेपाली और हिंदी दोनों भाषाओं में था, जो सांस्कृतिक निकटता को रेखांकित करता है। मोदी ने कार्की को “राइट ऑनरेबल मिसेज सुशीला कार्की” कहकर संबोधित किया और भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि भारत नेपाल के साथ विकास साझेदार के रूप में शांति और स्थिरता के लिए सहयोग जारी रखेगा।
सुशीला कार्की का जन्म 1952 में बिराटनगर में एक साधारण परिवार में हुआ। त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से एमए करने वाली कार्की ने 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रचा। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े फैसले दिए, जैसे एंटी-करप्शन चीफ लोकमान सिंह कार्की को हटाना। 2017 में महाभियोग का सामना किया, लेकिन उनकी ईमानदारी ने युवा प्रदर्शनकारियों को प्रभावित किया। कार्की ने एक इंटरव्यू में कहा, “मोदी जी को नमस्कार कहूंगी। भारत ने हमेशा नेपाल की मदद की है।” वे खुद को भारत की दोस्त बताती हैं, BHU को अपना दूसरा घर मानती हैं।
यह बधाई नेपाल के राजनीतिक संकट के बीच आई, जब संसद भंग हो गई और मार्च 2026 में चुनाव तय हुए। जेन-जी आंदोलन ने कार्की का नाम चुना, लेकिन कुछ ने ‘भारत समर्थक’ बताकर विरोध किया। काठमांडू मेयर बालेन शाह ने समर्थन दिया। भारत के लिए नेपाल रणनीतिक पड़ोसी है; मोदी की यह पहल ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को मजबूत करती है। कार्की को नई सरकार गठन, चुनाव और स्थिरता लानी है। यह घटना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक बंधन को और गहरा करेगी। क्या कार्की नया अध्याय लिखेंगी? उम्मीदें बंधी हैं।