कई विद्यार्थियों ने जमा कर दी फीस, कहा – इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था
हैदराबाद। राज्य भर में हजारों प्रथम वर्ष के डिग्री छात्रों को 2025-26 शैक्षणिक वर्ष (Academic Year) की शुरुआत में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें अपनी ट्यूशन फीस का कम से कम आधा हिस्सा अग्रिम भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, भले ही वे सरकारी शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए योग्य हों। डिग्री ऑनलाइन सर्विसेज तेलंगाना (DOST) 2025 वेब काउंसलिंग प्रणाली के अनुसार, जिन छात्रों के परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से कम है, वे राज्य सरकार से पूर्ण ट्यूशन फीस प्रतिपूर्ति के लिए पात्र हैं, जो सीधे कॉलेजों को भुगतान करती है। हालांकि, इस वर्ष सिर्फ निजी ही नहीं, बल्कि सरकारी सहायता प्राप्त और विश्वविद्यालय कॉलेज भी प्रवेश नियमों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं और छात्रों से प्रवेश के समय अपनी वार्षिक ट्यूशन फीस का आंशिक भुगतान करने पर जोर दे रहे हैं।
पर 7,500 से 15,000 रुपये तक की फीस मांग रहा है कॉलेज
उदाहरण के लिए, उस्मानिया विश्वविद्यालय का एक घटक कॉलेज निज़ाम कॉलेज छात्रों से एक विशेष डिग्री प्रोग्राम के लिए कुल ट्यूशन फीस राशि के आधार पर 7,500 से 15,000 रुपये तक की फीस मांग रहा है। इससे आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्र समुदाय और अभिभावकों में रोष फैल गया है। संगारेड्डी के एक छात्र एन गणेश नायक ने कहा, ‘मुझे निज़ाम कॉलेज में ईपीपी (अर्थशास्त्र, लोक प्रशासन और राजनीति विज्ञान) की सीट मिली और जब मैं प्रवेश को अंतिम रूप देने के लिए कॉलेज गया, तो प्रशासन ने मुझे ट्यूशन फीस का आधा हिस्सा पहले ही देने को कहा। चूंकि यह एक अच्छा कॉलेज है, इसलिए मेरे पास भुगतान करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। कॉलेज के अधिकारियों ने मुझे बताया कि ट्यूशन फीस वापस कर दी जाएगी, लेकिन मुझे इस बारे में निश्चित नहीं है।’
छात्राओं की भी यही स्थिति
वीरनारी चकली इलममा महिला विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की भी यही स्थिति है। शुरू में विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्राओं से प्रवेश के लिए ट्यूशन फीस, कम से कम आधी राशि, अग्रिम रूप से देने को कहा और कुछ छात्राओं ने अपनी आर्थिक तंगी के बावजूद भी ऐसा किया। हालांकि, विश्वविद्यालय ने छात्राओं से फीस वसूलने के अपने रुख से हाथ पीछे खींच लिए। निजी डिग्री कॉलेजों ने कहा कि उनके पास छात्रों से फीस वसूलने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि उनकी फीस प्रतिपूर्ति बकाया कई वर्षों से लंबित है। कॉलेजों के अनुसार, राज्य सरकार ने अभी तक 850 करोड़ रुपये की फीस बकाया जारी नहीं की है। कुल राशि में से 150 करोड़ रुपये के टोकन पहले ही स्वीकृत हो चुके हैं, लेकिन अभी भी भुगतान लंबित है। बार-बार अनुरोध के बावजूद, धनराशि जारी नहीं की गई।
40 दिनों की हड़ताल का कोई कोई फायदा नहीं
वास्तव में, कॉलेज प्रबंधन ने विरोध प्रदर्शन किया, दो बार सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार किया और शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के दौरान 40 दिनों की हड़ताल की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तेलंगाना प्राइवेट डिग्री और पीजी कॉलेज मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, ‘चूंकि सरकार छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति जारी नहीं कर रही है, इसलिए कई कॉलेजों ने अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए छात्रों से शुल्क वसूलने का फैसला किया है।’ इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए टीजीसीएचई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे सरकार से बकाया फीस जारी करने का अनुरोध कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘हम सरकार से बकाया फीस जल्द जारी करने का फिर से अनुरोध करेंगे।’