सरकार से की नौकरी कैलेंडर जारी करने की मांग
हैदराबाद। पूर्व मंत्री और बीआरएस के वरिष्ठ विधायक टी हरीश राव (T Harish Rao) ने सार्वजनिक पुस्तकालयों में निषेधाज्ञा लागू करने की निंदा करते हुए इसे तेलंगाना के बेरोज़गार युवाओं के गुस्से को दबाने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि रेवंत रेड्डी सरकार (Revanth Reddy government) छात्रों और बेरोज़गार युवाओं के बीच असंतोष को दबाने के लिए प्रतिबंधों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक पुस्तकालयों में विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि सरकार अपने प्रतिबंधात्मक आदेशों से बेरोज़गार युवाओं के गुस्से को कम नहीं कर सकती। इसके बजाय, उन्होंने माँग की कि सरकार एक रोज़गार कैलेंडर जारी करे और चुनावों के दौरान कांग्रेस द्वारा किए गए वादे के अनुसार दो लाख सरकारी नौकरियों की अधिसूचनाएँ जारी करे।
आपातकाल के दौर को फिर से जीवित कर रही है कांग्रेस
हरीश राव ने कहा कि कांग्रेस राज्य में लोकतांत्रिक शासन की अपनी सातवीं गारंटी के साथ विश्वासघात कर रही है और इसके बजाय, आपातकाल के दौर को फिर से जीवित कर रही है। उन्होंने सत्तारूढ़ दल को उसकी चुनावी राजनीति की याद दिलाई, जहाँ राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं ने अपने चुनावी एजेंडे को हासिल करने के लिए युवाओं को भड़काने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने आरोप लगाया, ‘अब सत्ता में आने के बाद, आप पुस्तकालयों पर प्रतिबंधात्मक आदेश लगाकर उन्हें सफेद कर रहे हैं। आप इसे कैसे उचित ठहरा सकते हैं?’
रोज़गार कैलेंडर बेरोज़गार कैलेंडर में बदल गया
बीआरएस नेता ने कहा कि सरकार द्वारा वादा किया गया रोज़गार कैलेंडर बेरोज़गार कैलेंडर में बदल गया है, कांग्रेस शासन में 60,000 रिक्तियों को भरने के दावों के बावजूद केवल 12,000 नियुक्तियाँ ही हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बेरोज़गारी भत्ते के नाम पर युवाओं को धोखा दे रही है और प्रदर्शनकारियों पर अवैध मुकदमे दर्ज करके असहमति को दबा रही है। उन्होंने कहा, ‘क्या आप अपनी विफलता पर सवाल उठाने के लिए तेलंगाना की पूरी जनता पर निषेधाज्ञा लागू करेंगे?’ उन्होंने मांग की कि सरकार दमन की राजनीति बंद करे और छात्रों तथा बेरोजगारों से किए गए अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करे।

सार्वजनिक पुस्तकालय क्या है?
पुस्तकालय वह जगह है जहाँ आम जनता के लिए किताबें, पत्रिकाएँ और अन्य पढ़ने की सामग्री मुफ्त या nominal शुल्क पर उपलब्ध होती है। यह शिक्षा, शोध और ज्ञानवृद्धि का केंद्र होता है।
सार्वजनिक पुस्तकालय किसकी संपत्ति है?
पुस्तकालय आमतौर पर सरकार, नगरपालिका या किसी शैक्षणिक संस्था की संपत्ति होती है। कभी-कभी यह निजी ट्रस्ट या समाजसेवियों द्वारा भी संचालित किए जाते हैं लेकिन उपयोग जनता के लिए खुला रहता है।
भारत में प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना कब हुई थी?
देश में प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय 1836 में कोलकाता में स्थापित हुआ था। इसका नाम कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी था, जिसे बाद में नेशनल लाइब्रेरी का रूप दिया गया।
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