जम्मू-कश्मीर (Jammu & kashmir) से लेकर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) तक भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जम्मू में वैष्णो देवी मार्ग पर हुए भूस्खलन में 33 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि डोडा और किश्तवाड़ में बादल फटने से चार लोगों की जान गई। तवी, चिनाब और झेलम नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। जम्मू में मंगलवार को छह घंटे में 22 सेमी बारिश दर्ज की गई, जो एक रिकॉर्ड है। सड़कें, पुल और रेल लाइनें क्षतिग्रस्त होने से यातायात ठप है।

हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति गंभीर है। कुल्लू-मनाली और चंबा में भारी बारिश ने सड़कों और संचार सेवाओं को ठप कर दिया है। व्यास नदी के उफान पर होने से कई घर और दुकानें बह गईं। प्रशासन ने इमरजेंसी के लिए पेट्रोल-डीजल रिजर्व करने के आदेश दिए हैं। जम्मू में 3,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, और सामुदायिक रसोई भोजन उपलब्ध करा रही हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, जबकि भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर और सी-130 विमान राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं।
मौसम विभाग ने अगले 40 घंटों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, और जम्मू संभाग में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। यह आपदा 2014 के बाद सबसे बड़ी जल तबाही मानी जा रही है, जिसने बुनियादी ढांचे और जनजीवन को भारी नुकसान पहुंचाया है।
ये भी पढ़े