115.6 मिमी से 204.4 मिमी तक भारी बारिश की चेतावनी
हैदराबाद। तेलंगाना में भारी बारिश (Heavy Rain) जारी है, जबकि हैदराबाद मौसम विभाग ने 27 जुलाई तक जिलों में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। आदिलाबाद, कोमाराम भीम आसिफाबाद, मंचेरियल, निर्मल, निज़ामाबाद, जयशंकर भूपालपल्ली, मुलुगु, भद्राद्रि कोत्तागुडेम (Kothagudem) में रविवार तक 115.6 मिमी से 204.4 मिमी तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। पिछले 24 घंटों में, सबसे ज़्यादा 83.9 मिमी बारिश कौथला, कोमाराम भीम आसिफाबाद में दर्ज की गई। राज्य भर में दिन भर की औसत बारिश लगभग 11.5 मिमी रही, जो सामान्य 8.6 मिमी से काफ़ी ज़्यादा है। पूर्वानुमान के आधार पर, तेलंगाना के लगभग सभी क्षेत्रों में इस महीने तक हल्की, मध्यम और भारी वर्षा होती रहेगी।
आसिफाबाद में तीसरे दिन भी मध्यम बारिश जारी
कुमराम भीम आसिफाबाद। जिले में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन हल्की से मध्यम वर्षा जारी रही। तेलंगाना राज्य विकास योजना सोसाइटी के अनुसार, ज़िले में औसत वर्षा 35.3 मिमी दर्ज की गई, जिसमें कौटाला मंडल में सबसे ज़्यादा 83.9 मिमी वर्षा हुई। चिंतलमनेपल्ली मंडल में 75 मिमी, जबकि बेज्जुर और सिरपुर (टी) मंडलों में क्रमशः 65 मिमी और 52.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई। 1 जून से 25 जुलाई तक, ज़िले में सामान्य 480 मिमी वर्षा के मुकाबले 543 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 13 प्रतिशत का विचलन दर्शाता है। उफनती पहाड़ी नदियों ने चिंतलमनेपल्ली, कौटाला, बेज्जुर और दहेगांव मंडलों के कई गाँवों का संपर्क बाधित कर दिया है। किसानों ने वर्षा के कारण खड़ी कपास की फसल को नुकसान पहुँचने की सूचना दी है।

बरसात का असली नाम क्या है?
विज्ञान की दृष्टि से इसका वास्तविक नाम “वर्षा” या “वृष्टि” होता है। संस्कृत से उत्पन्न यह शब्द अधिकांश भारतीय भाषाओं में प्रचलित है। मौसम विज्ञान में इसे “रेनफॉल” कहा जाता है, जबकि आम बोलचाल में “बारिश” या “बरसात” जैसे शब्दों का उपयोग होता है।
वर्षा की उत्पत्ति कैसे हुई?
सूर्य की गर्मी से पानी वाष्प बनकर वायुमंडल में उठता है, फिर संघनन के बाद बादलों का निर्माण होता है। जब ये बादल भारी हो जाते हैं, तो जलकण वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं। यह प्राकृतिक जलचक्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
बरसात से आप क्या समझते हैं?
इस मौसम को हम पृथ्वी पर जल की पुनः आपूर्ति के रूप में देख सकते हैं। यह न केवल कृषि और जल स्रोतों के लिए आवश्यक है, बल्कि जीवनचक्र को संतुलित रखने में भी सहायक है। बरसात से वातावरण में ठंडक और ताजगी भी आती है।
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