वॉशिंगटन की चिंता बढ़ा भारत की मौजूदगी
वॉशिंगटन: भारत ने रूस(Russia) और बेलारूस(Belarus) के नेतृत्व में हो रहे विशाल सैन्य अभ्यास Zapad-2025 में सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई है। पांच दिवसीय इस अभ्यास में भारत के 65 सैनिक शामिल हुए। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब अमेरिका(United States) लगातार नई दिल्ली पर मॉस्को से दूरी बनाने का दबाव डाल रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्वयं सैनिक वर्दी पहनकर प्रशिक्षण मैदान का निरीक्षण किया।
युद्धाभ्यास की व्यापकता और रणनीति
इस अभ्यास में लगभग एक लाख सैनिकों ने भाग लिया, जिनके साथ परमाणु बमवर्षक, युद्धपोत और भारी तोपखाने भी शामिल थे। पुतिन ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य रक्षा क्षमता को मजबूत करना और संभावित खतरों से निपटने की तत्परता दिखाना है। क्रेमलिन ने जानकारी दी कि रूस और बेलारूस के 41 स्थलों पर यह अभ्यास हुआ, जिसमें 333 विमान और 247 नौसैनिक जहाज शामिल थे।
भारत अकेला विदेशी सहभागी नहीं था; ईरान, बांग्लादेश, बुर्किना फासो, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और माली के सैनिकों ने भी इसमें शिरकत की। इससे यह अभ्यास बहुपक्षीय सहयोग का प्रतीक बन गया।
अमेरिका की मौजूदगी और भारत पर असर
विशेष बात यह रही कि अमेरिकी सैन्य अधिकारी भी इस अभ्यास का अवलोकन करने पहुंचे। वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूस(Russia) के हमले के बाद पहली बार अमेरिका ने ऐसा निमंत्रण स्वीकार किया। इससे संकेत मिलता है कि वॉशिंगटन रूस(Russia) और बेलारूस के साथ अपने संवाद को बनाए रखना चाहता है।
भारत की भागीदारी वॉशिंगटन के साथ उसके रिश्तों में नए तनाव जोड़ सकती है। हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया था, जिसमें रूसी तेल आयात पर शुल्क भी शामिल है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारी भारत पर रूस के युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड करने के आरोप लगाते रहे हैं।
भारत ने Zapad-2025 अभ्यास में क्यों भाग लिया?
इंडिया की भागीदारी का उद्देश्य रूस के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना और आपसी विश्वास को गहरा करना है। इसके साथ ही यह कदम बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
क्या भारत की मौजूदगी से अमेरिका-भारत संबंध प्रभावित होंगे?
हाँ, इस अभ्यास में भारत की सक्रियता से अमेरिका असहज हो सकता है। वॉशिंगटन पहले ही भारत पर आर्थिक दबाव बना चुका है और यह कदम संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है।
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