(Russia)रूस ने दावा किया है कि उसने कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात देने वाली एक mRNA आधारित वैक्सीन, एंटेरोमिक्स , विकसित कर ली है। यह वैक्सीन प्रीक्लिनिकल ट्रायल्स में सफल रही है और जल्द ही नैदानिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो सकती है। इस खबर ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय, बल्कि आम लोगों में भी उत्साह और जिज्ञासा पैदा की है।
वैक्सीन का आधार और कार्यप्रणाली
रूस की संघीय मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) की प्रमुख वेरोनिका स्कवॉर्ट्सोवा के अनुसार, एंटेरोमिक्स वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है, जिसे कोविड-19 वैक्सीन के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। यह तकनीक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उनसे लड़ने के लिए प्रशिक्षित करती है। वैक्सीन को व्यक्तिगत स्तर पर अनुकूलित किया जाता है, यानी प्रत्येक मरीज के ट्यूमर की जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर इसे तैयार किया जाता है। प्रीक्लिनिकल ट्रायल्स में इस वैक्सीन ने ट्यूमर के आकार को 60 से 80 प्रतिशत तक कम करने में सफलता दिखाई है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
यह वैक्सीन विशेष रूप से कोलोरेक्टल (बड़ी आंत) कैंसर के लिए विकसित की गई है, लेकिन इसके अन्य संस्करण ग्लियोब्लास्टोमा (मस्तिष्क कैंसर) और मेलानोमा (त्वचा कैंसर) के लिए भी तैयार किए जा रहे हैं। वैक्सीन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे बार-बार उपयोग करने पर भी सुरक्षित पाया गया है, और इसके कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं।
विकास और घोषणा
एंटेरोमिक्स वैक्सीन का विकास रूस के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजी सेंटर और रूसी विज्ञान अकादमी के एंगेलहार्ड्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी ने संयुक्त रूप से किया है। सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में इस वैक्सीन की घोषणा की गई, जहां रूस ने अपनी बायोटेक्नोलॉजी में प्रगति को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। कई वर्षों के शोध और तीन साल के अनिवार्य प्रीक्लिनिकल अध्ययनों के बाद, यह वैक्सीन अब अंतिम मंजूरी की प्रतीक्षा में है। रूस का दावा है कि यह वैक्सीन मरीजों को मुफ्त प्रदान की जाएगी, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
वैश्विक संदर्भ और चुनौतियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर दुनिया भर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। भारत में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर मुंह, गले और फेफड़ों का कैंसर। ऐसे में, रूस की यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर कैंसर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद बन सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन के प्रोफेसर किंग्स्टन मिल्स ने कहा कि बिना विस्तृत शोध पत्र और पारदर्शी डेटा के, इन दावों पर पूरी तरह भरोसा करना जल्दबाजी होगी। क्लिनिकल ट्रायल्स के अगले चरणों में वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा को और परखा जाएगा।
भविष्य की संभावनाएं
रूस की यह उपलब्धि चिकित्सा विज्ञान में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। mRNA तकनीक पहले ही कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी उपयोगिता सिद्ध कर चुकी है, और अब यह कैंसर के खिलाफ जंग में एक नया हथियार बन सकती है। यदि यह वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स के सभी चरणों में सफल रहती है, तो यह न केवल कैंसर के इलाज को आसान बनाएगी, बल्कि इसे अधिक किफायती और सुलभ भी बनाएगी।
हालांकि, वैक्सीन के व्यावसायिक उपयोग से पहले कई सवालों के जवाब जरूरी हैं। क्या यह वैक्सीन सभी प्रकार के कैंसर के लिए प्रभावी होगी? क्या इसे बड़े पैमाने पर उत्पादन करना संभव होगा? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर सभी मरीजों तक पहुंच सकेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिलेंगे।
रूस की एंटेरोमिक्स वैक्सीन ने कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद जगाई है। यह वैक्सीन न केवल चिकित्सा विज्ञान में रूस की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि तकनीक और अनुसंधान के बल पर असंभव को संभव बनाया जा सकता है। हम आशा करते हैं कि यह वैक्सीन जल्द ही मरीजों के लिए उपलब्ध होगी और कैंसर के खिलाफ इस जंग में एक निर्णायक कदम साबित होगी।
कैंसर की वैक्सीन है क्या?
कैंसर से जुड़ी कुछ बीमारियों से बचाने वाली और कुछ प्रकार के कैंसर का इलाज करने या उन्हें दोबारा होने से रोकने वाली वैक्सीन उपलब्ध हैं या विकसित की जा रही हैं, जैसे एचपीवी और हेपेटाइटिस बी के टीके जो कैंसर पैदा करने वाले वायरस से बचाते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए चिकित्सीय (थेराप्यूटिक) वैक्सीन पर शोध जारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और खत्म करने के लिए प्रशिक्षित करती है।
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