ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने इस मसौदे पर 25 जून 2025 तक जनता से सुझाव मांगे हैं, ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके।
केंद्र सरकार 117 साल पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम को बदलने की तैयारी कर रही है। इस अधिनियम की जगह लेने के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है। इसके तहत प्रॉपर्टी के सेल एग्रीमेंट, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और इक्विटेबल मॉर्गेज जैसे दस्तावेजों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। यह कदम प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और धोखाधड़ी-मुक्त बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
मसौदा किया जारी
ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भूमि संसाधन विभाग ने कई राज्यों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन करने का निर्णय लेने के बाद सार्वजनिक टिप्पणी के लिए मसौदा जारी किया है। बता दें कि पंजीकरण अधिनियम वैसे तो पूरे देश में लागू होता है, लेकिन राज्य केंद्र के परामर्श से कानून में संशोधन कर सकते हैं।
कानून के भीतर संचालित हो पंजीकरण प्रक्रिया
वहीं मंत्रालय ने कहा इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पंजीकरण प्रक्रिया कानून की सीमाओं के भीतर संचालित हो तथा पंजीकृत दस्तावेजों की विश्वसनीयता और साक्ष्य मूल्य को बरकरार रखा जाए।
लोगों से मांगी राय
ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने इस मसौदे पर 25 जून 2025 तक जनता से सुझाव मांगे हैं, ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके। बता दें कि नए कानून से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और डिजिटल रिकॉर्ड से समय और मेहनत की बचत होगी। वहीं आधार सत्यापन से धोखाधड़ी की भी आशंका कम होगी।
घर बैठे हो सकेगा ऑनलाइन
बता दें कि धोखाधड़ी रोकने के लिए सहमति के साथ आधार-आधारित सत्यापन प्रस्तावित है; वैकल्पिक सत्यापन के तरीके भी उपलब्ध होंगे। सरकार ने यह भी सुझाव दिया कि रजिस्ट्रेशन प्रकिया को और बेहतर बनाने के लिए इसे रिकॉर्ड-कीपिंग एजेंसियों के साथ जोड़ा जाए, जिससे जानकारी का आदान-प्रदान आसानी से हो सके।
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