ऑपरेशन सिंदूर’ में शहीद हुए बिहार के वीर जवान हवलदार सुनील सिंह यादव को रविवार को उनके पैतृक गांव नरबतपुर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. गांव से रानी घाट तक तिरंगा यात्रा निकाली गई और हजारों लोगों ने नम आंखों से अपने लाल को अंतिम सलाम किया.
कश्मीर के राजौरी में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमले में घायल हुए बिहार के लाल, हवलदार सुनील सिंह यादव (46) का पार्थिव शरीर शनिवार देर रात पटना पहुंचा और रविवार को उनके पैतृक गांव बक्सर के नरबतपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. तिरंगे में लिपटा उनका शव जैसे ही गांव पहुंचा, हर आंख नम हो गई.
शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए नरबतपुर से रानी घाट तक 8 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई. बाइक सवार युवाओं की टोली, हाथों में तिरंगा और गगनभेदी नारों के बीच पूरा इलाका देशभक्ति में डूब गया. “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के जयघोषों से वातावरण गूंज उठा.
अंतिम झलक पाने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़
शहीद सुनील सिंह की अंतिम झलक पाने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी. उनका पार्थिव शरीर घर के बाहर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. पत्नी बिलखती रही, बेटे ने आंखों में आंसू लिए श्रद्धांजलि दी और छोटे भाई ने फौजी सलामी देकर बड़े भाई को विदा किया. उस पल की खामोशी पूरे गांव पर छा गई.
पाकिस्तानी ड्रोन हमले में हुए थे घायल
सुनील सिंह यादव 9 मई को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें 15 मई को एयरलिफ्ट कर उधमपुर के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 21 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 5 जून की शाम उन्होंने अंतिम सांस ली.
उनके बलिदान को नमन करते हुए पटना एयरपोर्ट पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, नेता प्रतिपक्ष समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
दो बेटे और एक बेटी को छोड़ गए सुनील
सुनील सिंह अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं. उनका साहस, समर्पण और देशभक्ति हमेशा के लिए गांव, राज्य और देश के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा. गांव के हर कोने में अब सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है- शहीद सुनील सिंह अमर रहें.
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