National : अचानक हो रही मौतों का कोरोना टीकों से कोई संबंध नहीं : मंत्रालय

By Anuj Kumar | Updated: July 2, 2025 • 1:51 PM

नई दिल्ली। केंद्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) हार्ट अटैक की वजह से होने वाली अचानक मौतों में कोई संबंध नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर (ICMR) और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIMS) के किए गहन अध्ययन के बाद मंत्रालय ने यह बात कही। कोरोना महामारी के बाद कई लोग चलते, फिरते, नाचते-गाते अचानक काल के गाल में समा रहे हैं।

हाईलाइटस

एक के बाद एक इस तरह के चौंकाने-डराने वाले वीडियो सामने आए

एक के बाद एक इस तरह के चौंकाने-डराने वाले वीडियो सामने आए और कई लोगों ने इन मौतों को कोरोना काल में लगे टीकों पर शक करना शुरू कर दिया था। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की ओर से किए अध्ययन ने इसकी पुष्टि की है कि भारत में कोरोना वैक्सीन के टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं। गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले बेहद दुर्लभ हैं। वहीं हाल ही में कर्नाटक के हासन जिले में अचानक दिल का दौरा पड़ने से 20 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद कोरोना वैक्सीन को लेकर बहस छिड़ गई।

कर्नाटक में हुई अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है

मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इसको लेकर सवाल उठने लगे कि कहीं इन मौतों का संबंध कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभावों से तो नहीं है? जब मामला गंभीर हो गया तो कर्नाटक सरकार ने इसकी जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित कर दी, लेकिन अब देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। आईसीएमआर और एम्स ने रिसर्च में साफ कर दिया है कि कोरोना वैक्सीन और कर्नाटक में हुई अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है।

कोरोना वैक्सीन ने देश में बड़े पैमाने पर संक्रमण को फैलने से रोका है

यह अध्ययन उन मौतों के संदर्भ में था जो कोविड महामारी के बाद अचानक हुई और जिनके पीछे वैक्सीन को जिम्मेदार माना जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट में आईसीएमआर और एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों की अचानक मौत हुई है, उनके मामलों में वैक्सीन का साइड इफेक्ट नहीं, बल्कि उनकी पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां और जीवनशैली प्रमुख वजह थीं। हृदय रोग, हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह जैसी बीमारियां इन मौतों से पहले मौजूद थीं और ज्यादातर मामलों में समय पर इलाज नहीं मिलने से स्थिति और खराब हो गई। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कोरोना वैक्सीन ने देश में बड़े पैमाने पर संक्रमण को फैलने से रोका है और मृत्यु दर को काफी हद तक नियंत्रित किया, लेकिन सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के चलते लोग कोरोना वैक्सीन को ही जिम्मेदार मान रहे थे, जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

समिति को 10 दिनों में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था

मई-जून 2025 में हासन ज़िले में अचानक 20 से ज्यादा युवाओं और अधेड़ों की मौत के बाद राज्य सरकार परेशान हो गई थी। सीएम सिद्धारमैया ने तुरंत जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए। समिति को 10 दिनों में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। बता दें कर्नाटक में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी 2021 से हुई थी। पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया था। इसके बाद 45 साल से ऊपर की उम्र के लोगों और फिर 18-44 साल के लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी। कोविशील्ड और को-वैक्सीन राज्य भर में प्रमुख वैक्सीन थी। सरकारी और निजी अस्पतालों में बनाए गए वैक्सीनेशन सेंटर्स और पोर्टल या मोबाइल ऐप के ज़रिए लोगों को स्लॉट दिया जाता था।

Read more : ELI : मोदी सरकार की नई रोजगार स्कीम किन नौकरियों में मिलेगा लाभ

# National news #Ap News in Hindi #Breaking News in Hindi #Google News in Hindi #Hindi News Paper bakthi breakingnews delhi latestnews trendingnews