Supreme Court: ‘मौजूदा स्थिति में हमें उनका मनोबल नहीं गिराना चाहिए’

By digital | Updated: May 9, 2025 • 4:40 PM

देश की सर्वोच्च अदालत ने  केंद्र से कहा कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा से मुक्त न करे। बता दें कि, 2020 के फैसले के बाद से, शीर्ष अदालत ने सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के मुद्दे पर कई आदेश पारित किए हैं

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि वह शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला सैन्य अधिकारियों को सेवा से मुक्त न करे, जिन्होंने उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी है। न्यायालय ने कहा कि मौजूदा स्थिति में उनका मनोबल न गिराया जाए। मामले में जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 69 सैन्य अधिकारियों की तरफ से दायर याचिकाओं को अगस्त में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि अगली सुनवाई तक उन्हें रिहा नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणी

इस दौरान जस्टिस कांत ने कहा ‘मौजूदा स्थिति में, आइए उनका मनोबल न गिराएं। वे शानदार अधिकारी हैं, आप उनकी सेवाओं का उपयोग कहीं और कर सकते हैं। यह वह समय नहीं है जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में घूमने के लिए कहा जाए। उनके पास रहने और देश की सेवा करने के लिए बेहतर जगह है’। वहीं केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यह सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने की नीति पर आधारित एक प्रशासनिक निर्णय था।

‘भारतीय सेना को युवा अधिकारियों की जरूरत’

‘महिलाओं को पूरी तरह से बाहर रखा जाना अक्षम्य’

सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) की अनुमति देने वाली शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्टाफ नियुक्तियों के अलावा कुछ भी प्राप्त करने पर पूर्ण प्रतिबंध स्पष्ट रूप से सेना में करियर में उन्नति के साधन के रूप में पीसी प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा नहीं करता है। शीर्ष अदालत ने महिला अधिकारियों की तरफ से हासिल की गई उपलब्धियों का भी उल्लेख किया और कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का उदाहरण दिया।

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