डिप्टी सीएम ने पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की
हैदराबाद। उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्का (Deputy Chief Minister Bhatti Vikramarka) ने कहा कि डॉ. बी.आर. आंबेडकर वह महान व्यक्तित्व हैं जिन्होंने हर आम व्यक्ति को मतदान का अधिकार जैसे शक्तिशाली हथियार से सशक्त बनाया, जिससे वे अपने भविष्य को स्वयं गढ़ सकें। भट्टी विक्रमार्का ने शनिवार को हैदराबाद के लोअर टैंक बंड पर डॉ. बी.आर. आंबेडकर (Dr. B.R. Ambedkar) की प्रतिमा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि भारत में ऐसे महान नेता का जन्म हुआ, जिन्होंने हर व्यक्ति को अपनी पसंद की सरकार चुनने और अपने वोट के माध्यम से अपनी नियति स्वयं तय करने का अवसर दिया।
राज्य के शासन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचार
भट्टी विक्रमार्का ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचार राज्य के शासन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं, और भविष्य में भी न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए उनके विचार मार्गदर्शक प्रकाश की तरह रहेंगे। उनकी विचारधारा का पालन करना इस देश के महान भविष्य का सच्चा मार्ग है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आंबेडकर वह महान नेता हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक मजबूत और उल्लेखनीय संविधान का उपहार दिया।
डॉ. आंबेडकर के मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि
उन्होंने कहा कि आंबेडकर के विचार और उनका मार्ग हमें इस देश में लोकतंत्र को सुदृढ़ करने, असमानताओं से मुक्त समाज के निर्माण और राष्ट्र के सभी आर्थिक, सामाजिक और भौतिक संसाधनों के न्यायपूर्ण और समान वितरण के लिए प्रेरित करना चाहिए। उनके मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।
बाबा साहब का इतिहास क्या है?
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता, सामाजिक सुधारक और दलित अधिकारों के सबसे बड़े प्रवक्ता थे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू (मध्य प्रदेश) में हुआ। उन्होंने अस्पृश्यता, भेदभाव और असमानता के खिलाफ जीवनभर संघर्ष किया। उच्च शिक्षा अमेरिका, लंदन और कोलंबिया विश्वविद्यालयों से प्राप्त की। भारत में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों की मजबूत नींव रखने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
अंबेडकर के तीन नारे कौन से हैं?
बाबा साहब ने समाज को जागरूक करने के लिए कई प्रेरक संदेश दिए, जिनमें सबसे प्रसिद्ध तीन नारे हैं—
- शिक्षित बनो
- संगठित बनो
- संघर्ष करो
ये तीनों नारे सामाजिक उत्थान, आत्मनिर्भरता, अधिकारों के लिए जागरूकता और अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। आज भी यही नारे सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा माने जाते हैं।
भीमराव अंबेडकर किसकी पूजा करते थे?
डॉ. अंबेडकर तर्क, मानवता और समानता को सर्वोपरि मानते थे। जीवन के अंतिम चरण में उन्होंने बौद्ध धम्म को स्वीकार किया और धम्म के मूल सिद्धांत—करुणा, अहिंसा, ज्ञान और समता—को अपना मार्ग माना। वे किसी देवी-देवता की पारंपरिक पूजा नहीं करते थे, बल्कि सत्य, बुद्धि और धम्म के सिद्धांतों को ही सर्वोत्तम मानते थे। उनका विश्वास सामाजिक नैतिकता और मानवीय मूल्यों में था।
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