Politics : छात्रों की मौत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करें मुख्य न्यायधीश : हरीश

By Kshama Singh | Updated: July 27, 2025 • 11:34 PM

राज्य मानवाधिकार आयोग मामले को स्वत: ले संज्ञान : हरीश

नागरकुरनूल। बीआरएस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने तेलंगाना उच्च न्यायालय और राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission) से गुरुकुलों में बार-बार हो रही फ़ूड पॉइज़निंग की घटनाओं और छात्रों की मौतों का स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया है। बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण भोजन और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की अपील करते हुए, उन्होंने रेवंत रेड्डी सरकार (Revanth Reddy government) को छात्रों की जान जोखिम में डालने के लिए निष्ठुर बताया। हरीश राव उय्यालवाड़ा पहुंचे और नागरकुरनूल जिले में महात्मा ज्योतिबा फुले गर्ल्स बीसी गुरुकुल स्कूल की छात्राओं से बातचीत की, जहां दूषित भोजन खाने से 111 छात्राएं बीमार पड़ गईं

20 महीनों के शासन में 100 से ज़्यादा गुरुकुल छात्रों की हो चुकी है मौत

उन्होंने इस घटना को शासन-प्रशासन की एक दुखद विफलता बताते हुए सवाल उठाया, ‘कुछ छात्रों को हमारे आने की खबर मिलने के बाद ही अस्पताल ले जाया गया, जबकि अन्य का इलाज स्कूल में ही पेड़ों के नीचे किया जा रहा है। यह लापरवाही क्यों?’ पूर्व मंत्री ने जगतियाल, भद्राद्री कोत्तागुडेम, पेद्दाकोथपल्ली और हुस्नाबाद समेत अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के 20 महीनों के शासन में 100 से ज़्यादा गुरुकुल छात्रों की मौत हो चुकी है।

उचित भोजन उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता की आलोचना

उन्होंने मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी पर किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया, जबकि उन्होंने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने पर अधिकारियों को तुरंत निलंबित करने का वादा किया था। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक बच्चों के लिए उचित भोजन उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता की आलोचना की, जबकि सौंदर्य प्रतियोगिताओं के दौरान प्रति प्लेट 1 लाख रुपये से ज़्यादा खर्च करने को तैयार हैं।

भारत में कुल कितने मुख्य न्यायाधीश हैं?

संविधान लागू होने के बाद से अब तक भारत में कुल ५० से अधिक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हो चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1950 में हुई थी, और तब से हर मुख्य न्यायाधीश को कार्यकाल समाप्त होने के बाद अगला जज पदभार संभालता है। वर्तमान में यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

भारत का सबसे बड़ा जज कौन है?

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एम.एन. वेंकटचलैया, के.जी. बालकृष्णन, और एस. एच. कपाड़िया जैसे कई मुख्य न्यायाधीशों को प्रतिष्ठा प्राप्त रही है, लेकिन कानूनी गहराई, नैतिक दृष्टिकोण और ऐतिहासिक फैसलों के लिए जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ को सबसे प्रभावशाली न्यायाधीशों में गिना जाता है।

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