मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की कोशिश कर रही है कांग्रेस
करीमनगर। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार (Bandi Sanjay Kumar) ने रविवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने कामारेड्डी बीसी घोषणा की आड़ में मुस्लिम कोटा लागू किया है। उन्होंने कहा, ‘राज्य पहले से ही पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जबकि कांग्रेस (Congress) सरकार पिछड़े वर्गों को अतिरिक्त पाँच प्रतिशत आरक्षण देने के बहाने मुसलमानों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की कोशिश कर रही है। अगर इसे लागू किया गया, तो मुसलमानों को 100 प्रतिशत आरक्षण मिल जाएगा।‘
बंडी संजय ने उठाया सवाल
ज़िला मुख्यालय अस्पताल में एक क्रिटिकल केयर यूनिट का उद्घाटन करने के बाद, पत्रकारों से बातचीत करते हुए, बंडी संजय ने सवाल उठाया कि इस तरह के कदम को बीसी घोषणा कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से एक मुस्लिम घोषणा है।’ राज्य सरकार पर तेलंगाना में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने तथाकथित मुस्लिम घोषणा को एक ‘जहरीला पेड़’ करार दिया, जो अगर नहीं रोका गया तो पूरे देश में फैल जाएगा।
अगर सरकार पिछड़ी जातियों को देती है 42 प्रतिशत आरक्षण
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक मुसलमानों को पिछड़ी जातियों की सूची से बाहर नहीं किया जाता, तब तक पिछड़ी जातियों के आरक्षण विधेयक को मंज़ूरी नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार पिछड़ी जातियों को 42 प्रतिशत आरक्षण देती है, तो हम उसका पूरा समर्थन करेंगे, लेकिन मुसलमानों को इससे बाहर रखने के बाद ही।’
बंदी संजय कुमार कौन हैं?
भारतीय राजनीति में सक्रिय श्री बंदी संजय कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हैं। वे तेलंगाना के करीमनगर से लोकसभा सांसद हैं और राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में संगठनात्मक रूप से मजबूती हासिल की है।
संजय कुमार कौन थे?
यह नाम भारत में कई क्षेत्रों से जुड़ा हो सकता है, जैसे सामाजिक कार्यकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी या कलाकार। यदि आप किसी विशेष संजय कुमार की बात कर रहे हैं, तो संदर्भ स्पष्ट होना आवश्यक है ताकि सही जानकारी दी जा सके।
संजय का असली नाम क्या है?
रामायण के पात्र संजय का नाम ही संजय था, जो धृतराष्ट्र को महाभारत का युद्ध वर्णन करते हैं। अगर आप किसी विशेष व्यक्ति जैसे अभिनेता या राजनेता की बात कर रहे हैं, तो स्पष्टता ज़रूरी है, क्योंकि “संजय” नाम कई लोगों के बीच सामान्य है।
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