अवैध लकड़ी तस्करी और कर्मियों पर हमलों के लिए जाना जाता क्षेत्र
आदिलाबाद। वृक्षारोपण अभियान के दौरान पुलिसकर्मियों पर हाल ही में हुए हमले और पथराव की घटना से चिंतित वन विभाग के अधिकारियों ने सरकार से आत्म-सुरक्षा तंत्र को बढ़ाने और वन पुलिस (Forest Police) बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का आग्रह किया है। सरकार को सौंपे गए पत्रों में वन अधिकारियों ने आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति मांगी है तथा इकोडा मंडल के सिरीचेल्मा गांव में वन पुलिस स्टेशन (Police station) की स्थापना की अपनी लंबे समय से लंबित मांग दोहराई है।
यह क्षेत्र अवैध लकड़ी तस्करी और कर्मियों पर हमलों के लिए जाना जाता है। अधिकारियों ने बताया कि वन अधिकारियों को हथियार देने का प्रस्ताव कई वर्षों से लंबित है, जबकि पूर्व में तस्करों द्वारा वन रेंज अधिकारी स्तर के कर्मचारियों की हत्या सहित हिंसा की घटनाएं बार-बार होती रही हैं।
बढ़ रहा है सागौन तस्करों का ख़तरा
उन्होंने बताया कि सागौन तस्करों का ख़तरा बढ़ रहा है। इकोडा जैसे वन क्षेत्रों में गश्त करते समय उच्च अधिकारियों को हथियारों की ज़रूरत होती है। सिरीचेल्मा में प्रस्तावित वन पुलिस स्टेशन का उद्देश्य वन बीट अधिकारियों जैसे अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की सुरक्षा करना होगा, जो अक्सर अकेले जंगलों में गश्त करते हैं और हमलों का शिकार हो सकते हैं। अगर इस स्टेशन को मंज़ूरी मिल जाती है, तो इसमें दस सशस्त्र कर्मचारी होंगे और यह केरल, असम और पश्चिम बंगाल में पहले से संचालित वन पुलिस स्टेशनों की तरह ही काम करेगा।

सुरक्षा में सुधार से मनोबल बढ़ाने में मिलेगी मदद
वन अधिकारियों ने बताया कि विभाग की सतर्कता एवं प्रवर्तन शाखा मामले की जाँच कर रही है। वन विभाग कर्मचारी संघ ने भी सरकार को पत्र लिखकर बढ़ते खतरों के मद्देनजर तत्काल सुरक्षा उपाय करने की माँग की है। जिले में वन एवं पुलिस कर्मियों के खिलाफ नियमित हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए अधिकारियों ने कहा कि ये हमले मनोबल तोड़ने वाले हो गए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा में सुधार से मनोबल बढ़ाने में मदद मिलेगी। अन्यथा, खराब सुरक्षा कर्मचारियों को असुरक्षित और जोखिम में डाल देगी। वन अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि इकोडा में सागौन और रेत तस्कर तेजी से कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं, तथा कुछ राजनीतिक नेता उन्हें कानून-व्यवस्था को बाधित करने के लिए उकसा रहे हैं।
वन विभाग से आप क्या समझते हैं?
वन विभाग एक सरकारी संस्था है जो वनों (जंगलों) के संरक्षण, प्रबंधन, वन्य जीव सुरक्षा, वनीकरण और वन उत्पादों के नियंत्रण का कार्य करती है। इसका उद्देश्य है पर्यावरण संतुलन बनाए रखना, जैव विविधता की रक्षा करना और वन संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना।
वन विभाग का जनक कौन था?
भारतीय वन विभाग का जनक सर डाइट्रिक ब्रैंडिस (Sir Dietrich Brandis) को माना जाता है। वे एक जर्मन वन वैज्ञानिक थे, जिन्हें भारत का पहला महानिरीक्षक वन (Inspector General of Forests) 1864 में नियुक्त किया गया। उन्होंने भारत में संगठित वन प्रबंधन की नींव रखी।
वन विभाग कितने प्रकार के होते हैं?
वन विभाग मुख्य रूप से वन के प्रकारों के अनुसार कार्य करता है, जो इस प्रकार हैं:
- राष्ट्रीय वन (Reserved Forests)
- संरक्षित वन (Protected Forests)
- सामुदायिक वन (Village/Common Forests)
- वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान (Wildlife Sanctuaries & National Parks)
प्रशासनिक दृष्टि से भी विभाग के अंदर कई शाखाएँ होती हैं जैसे:
- वानिकी अनुसंधान
- वन्य जीव प्रबंधन
- सामाजिक वानिकी
- वानिकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण
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