पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद स्टाफ ने अस्पताल में कराया भर्ती
नागरकुरनूल। उय्यालवाड़ा स्थित महात्मा ज्योतिभा फुले बालिका आवासीय विद्यालय की कुछ छात्राएं शुक्रवार रात भोजन करने के बाद बीमार पड़ गईं। पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद स्कूल स्टाफ (School Staff) ने प्रभावित छात्रों को तुरंत जिले के सरकारी जनरल अस्पताल में भर्ती कराया। घटना की जानकारी मिलते ही अभिभावक अस्पताल (Hospital) पहुंचे और अपने बच्चों की हालत के बारे में जानकारी ली। छात्रों की हालत स्थिर बताई जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चला है कि छात्र रात के खाने में परोसे गए बासी दही को खाने के बाद बीमार पड़ गए।
हरीश राव के दौरे से पहले छात्रों को दे दी गई छुट्टी
रविवार को सरकारी जनरल अस्पताल में उस समय तनाव फैल गया जब अस्पताल प्रशासन ने उय्यालवाड़ा स्थित ज्योतिभा फुले गर्ल्स रेसिडेंशियल स्कूल में बासी दही खाने से बीमार पड़ी कुछ छात्राओं को छुट्टी दे दी। कथित तौर पर यह पता चलने के बाद कि पूर्व मंत्री टी. हरीश राव अस्पताल आने वाले हैं, छात्राओं को जल्दबाजी में छुट्टी दे दी गई।
अभिभावकों ने लगाए कई आरोप
अभिभावकों ने आरोप लगाया कि उनके बच्चों को अस्पताल से अचानक छुट्टी दे दी गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब अभिभावकों ने अस्पताल के कर्मचारियों से पूछताछ की, तो उन्होंने दावा किया कि छात्रों की हालत स्थिर है।
शनिवार को खाना खाने के बाद स्कूल में लगभग 79 छात्र बीमार पड़ गए। इनमें से 12 को आज छुट्टी दे दी गई और बाकी का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह भी पता चला है कि 50 अन्य छात्रों ने भी पेट दर्द और उल्टी की शिकायत की थी और उन्हें आज सुबह अस्पताल में भर्ती कराया गया। बड़ी संख्या में अभिभावक अस्पताल पहुँचे और शिकायत की कि स्कूल स्टाफ ने छात्रों की हालत पर तुरंत ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, और भी कई बच्चे बीमार पड़ गए।
दही कब नहीं खानी चाहिए?
रात्रि में दही खाने से पाचन में गड़बड़ी और कफ की समस्या हो सकती है, इसलिए रात को इसका सेवन टालना चाहिए। इसके अलावा सर्दी, खांसी, अस्थमा या साइनस से पीड़ित व्यक्ति को दही से परहेज़ करना चाहिए। ठंडे मौसम में भी दही का सेवन सीमित करना उचित माना गया है।
दूध जमाने की खट्टी दही को क्या कहते हैं?
खट्टी दही को आम बोलचाल में “जामन” कहा जाता है। यह वही दही होती है जिसे ताजा दूध जमाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। जामन में मौजूद लाभकारी जीवाणु दूध को किण्वित कर दही में बदलते हैं, जिससे दही को उसका विशिष्ट स्वाद और गाढ़ापन मिलता है।
दही की खोज कब हुई थी?
मानव सभ्यता के प्रारंभिक दौर में दही की खोज संभवतः 7000 से 5000 ईसा पूर्व के बीच मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गर्म मौसम में दूध अपने आप फर्मेंट होकर दही में परिवर्तित हो गया था। प्राचीन मेसोपोटामिया और भारतीय ग्रंथों में भी दही का उल्लेख मिलता है।
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