हैदराबाद। पूर्व विधायक और सम्मानित जनप्रतिनिधि गुम्मडी नारसैया (Gummadi Narsaiya) के जीवन पर आधारित एक जीवनी फिल्म का शुभारंभ शुक्रवार को पल्पनचा में हुआ, जिसमें कन्नड़ सुपरस्टार डॉ. शिव राजकुमार (Kannada superstar Dr. Shiva Rajkumar) इस प्रतिष्ठित नेता की भूमिका निभाएँगे। तेलंगाना के रोड्स एंड बिल्डिंग्स तथा सिनेमैटोग्राफी मंत्री कोमटिरेड्डी वेंकट रेड्डी कार्यक्रम में शामिल हुए और फिल्म के लिए पहली क्लैप दी। इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री कोमटिरेड्डी ने गुम्मडी नारसैया की सराहना करते हुए कहा कि वे ऐसे नेता थे जिन्होंने गाँव के स्तर से लेकर विधानसभा तक सबका सम्मान अर्जित किया।
हमेशा ईमानदारी और प्रतिबद्धता के प्रतीक रहे
उन्होंने कहा कि गाँव के सरपंच से लेकर विधायक तक, वे हमेशा ईमानदारी और प्रतिबद्धता के प्रतीक रहे। वह विधानसभा में मेरे करीबी सहयोगी थे और हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों के प्रबल समर्थक रहे। मंत्री ने याद किया कि नारसैया ने अपनी विधायक की तनख्वाह दान कर दी थी, सादा जीवन जिया और अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को जनकल्याण के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मूल्य आज के जनप्रतिनिधियों के लिए प्रेरणा होने चाहिए। कोमटिरेड्डी ने कहा कि गुम्मडी नारसैया वास्तव में जनता के नेता थे। उनका जीवन ईमानदारी, त्याग और पारदर्शिता का सशक्त संदेश है। शिव राजकुमार को इस भूमिका में देखकर स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा कि सुपरस्टार का जुड़ाव फिल्म की भावनात्मक प्रभावशीलता और पहुँच को और मजबूत करेगा।
यह पहली फिल्म, जिसके लिए मैं क्लैप दे रहा हूँ
उन्होंने कहा कि सिनेमैटोग्राफी मंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद यह पहली फिल्म है जिसके लिए मैं क्लैप दे रहा हूँ। मैं आज यहाँ केवल नारसैया गरु के प्रति सम्मान के कारण आया हूँ। मुझे विश्वास है कि इस फिल्म को व्यापक सराहना मिलेगी। मंत्री ने आगे कहा कि तेलंगाना सरकार फिल्म उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रोत्साहनों के संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा की जाएगी। कार्यक्रम में विधायकों कुनमनेनी सम्बशीवा राव, जारे आदिनारायण, जनप्रतिनिधि, फिल्म दल और गुम्मडी नारसैया के प्रशंसक शामिल हुए।
बायोपिक का मतलब क्या होता है?
किसी वास्तविक व्यक्ति के जीवन पर आधारित फिल्म या ड्रामा को बायोपिक कहा जाता है। इसमें उस व्यक्ति के संघर्ष, उपलब्धियाँ, भावनाएँ और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ दिखाई जाती हैं। उद्देश्य यह होता है कि दर्शकों को उस व्यक्ति की वास्तविक कहानी, उसके व्यक्तित्व और समाज पर उसके प्रभाव के बारे में समझ मिल सके। बायोपिक आमतौर पर प्रेरणादायक और तथ्य-आधारित होती हैं।
बायोपिक किसने गढ़ा?
इस शब्द का निर्माण अंग्रेज़ी भाषा में “biographical picture” या “biographical motion picture” से हुआ है, जिसे संक्षेप में “biopic” कहा जाने लगा। किसी एक व्यक्ति द्वारा यह शब्द गढ़ा गया हो, ऐसा प्रमाण स्पष्ट नहीं है। फिल्म उद्योग में यह शब्द धीरे-धीरे प्रचलन में आया और बाद में हॉलीवुड तथा अन्य विश्व सिनेमाओं में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाने लगा।
पहली बायोपिक कौन सी है?
दुनिया की शुरुआती बायोपिक फिल्मों में से एक “The Story of the Kelly Gang” (1906) मानी जाती है, जो ऑस्ट्रेलिया में बनाई गई थी और कुख्यात डाकू नेड केली के जीवन पर आधारित थी। इसे फिल्म इतिहास की पहली पूर्ण लंबाई वाली बायोग्राफिकल फिल्म माना जाता है। इसके बाद बायोपिक शैली धीरे-धीरे विश्व सिनेमा में लोकप्रिय होती चली गई।
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